चंडीगढ़ । लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा ही पंजाब में सभी दलों में सबसे ज्यादा सरगर्म दिखाई दे रही है। सत्तारूढ़ आप हो या कांग्रेस अथवा अकाली दल, किसी भी दल ने लोकसभा चुनाव के लिए इतनी गंभीरता से अभी तैयारी शुरू नहीं की, जितना भाजपा कर रही है। लगातार बैठकों का दौर लंबे समय से भाजपा में चल रहा है तो साथ ही केंद्रीय मंत्रियों के दौरे भी बदस्तूर जारी हैं। 6 महीने से हफ्ते में एक केंद्रीय मंत्री जरूर पंजाब में संगठन के कामकाज के सिलसिले में आ रहा है। लोकसभा हलकों में भी केंद्रीय मंत्री बैठकें कर रहे हैं।

कभी भी भाजपा के लिए पंजाब राजनीतिक नजरिए से इतना अहम नहीं रहा। मगर दिल्ली के दरवाजे पर करीब साल भर चले किसान आंदोलन ने पार्टी को महज 13 लोकसभा सीटों वाले इस सीमावर्ती राज्य के बारे में सोचने को मजबूर कर दिया है। इस कड़ी में केंद्रीय नेतृत्व ने प्रदेश संगठन को मजबूत बनाने के लिए इतना काम दे रखा है मगर अभी भी वो आऊटपुट नहीं निकल पा रही, जिसकी उम्मीद केंद्र करता है। हालांकि प्रदेश टीम और जिला स्तर तक पूरी कोशिश जारी है लेकिन बीते 25 साल मात्र 3 लोकसभा सीटों पर चुनाव लडऩे वाली पार्टी मानसिक तौर पर 13 सीटों के लिए तैयारी नही कर पा रही। इसकी बड़ी वजह अकाली दल रहा है। जिन लोकसभा या विधानसभा सीटों पर अकाली दल चुनाव लड़ता था, उन पर भाजपा का संगठन हमेशा से कमजोर रहा। भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व प्रदेश की हर सीट पर संगठन को मजबूत करने की दिशा में निरंतर कार्यक्रम तैयार करके भेज रहा है और भाजपा को यहां भी अकेले अपने दम पर चलाना चाहता है।

लोकसभा चुनाव की तैयारियों में अन्य दलों से आए नेताओं और संगठन से पुराने जुड़े नेताओं में तालमेल की कमी भी आड़े आ रही है। इन नए नेताओं को भाजपा का आंतरिक अनुशासन समझने में ही काफी समय लगा। आपसी चर्चा में ये नए नेता कहते भी हैं कि पार्टी में बस बैठकें ही हो रही हैं। यह नेता फील्ड में जाने पर जोर देते हैं।  अपने ढंग से पार्टी चलाना चाहते हैं जबकि प्रदेश टीम केंद्रीय भाजपा की नीतियों के मुताबिक चलना चाहती है। पुराने और इन नए भाजपा नेताओं के बीच समय रहते समन्वय बना तभी भाजपा के हक में नतीजे आ सकते हैं। फिलहाल तो इनमें तालमेल की कमी ही नजर आती है।

भाजपा ने 9 हलके 3 केंद्रीय मंत्रियों के हवाले कर रखे हैं जबकि सुखबीर बादल के फिरोजपुर हलके समेत फरीदकोट, फतेहगढ़ साहिब और खडूर साहिब का जिम्मा अभी किसी केंद्रीय मंत्री के पास नहीं है। गजेंद्र शेखावत को बठिंडा, होशियारपुर और श्री आनंदपुर साहिब, मनसुख मंडाविया को लुधियाना, पटियाला व संगरूर तथा अर्जुन मेघवाल को अमृतसर, गुरदासपुर व जालंधर लोकसभा सीटों का जिम्मा सौंपा गया है।

हालांकि टिकट पर फैसला भाजपा का संसदीय बोर्ड करता है मगर कुछ नेताओं को उनकी उम्मीदवारी का संकेत किया जा चुका है व इन्हें तैयारी के लिए कहा जा चुका है। केंद्रीय मंत्रियों की संबंधित लोकसभा हलके की फेरी के दौरान उनके साथ हर कार्यक्रम में ये संभावित उम्मीदवार रहते हैं। 4 सीटों पर उम्मीदवार को लेकर पार्टी फिलहाल दुविधा में है। दरअसल कांग्रेस और अकाली दल से कुछ सांसदों और पूर्व सांसदों के भाजपा में शामिल होने की बात सिरे चढऩे पर उन्हें ही उस हलके से भाजपा मैदान में उतारेगी।

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