समाजवादी पार्टी (सपा) के कद्दावर नेता और लखीमपुर खीरी से 3 बार सांसद रहे रवि प्रकाश वर्मा ने शुक्रवार को पार्टी सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। सूत्रों के मुताबिक, रवि प्रकाश कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं। वहीं, जब उनसे पूछा गया कि क्या वह कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं तो उन्होंने इसे घर वापसी बताया।सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को लिखे एक पत्र में वर्मा ने कहा कि लखीमपुर खीरी में पार्टी के भीतर प्रतिकूल माहौल की वजह से वह स्वयं को पार्टी के लिए काम करने में असमर्थ पाते हैं, इसलिए वह पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहे हैं। राज्य में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की आवाज उठाने वाले नेताओं में से एक रवि वर्मा सपा के राष्ट्रीय महासचिव भी रह चुके हैं। 1998, 1999 और 2004 लोकसभा चुनावों में लखीमपुर खीरी संसदीय क्षेत्र से निर्वाचित होने वाले वर्मा को बाद में राज्यसभा सदस्य के रूप में भी निर्वाचित किया गया था। वर्मा के 6 नवंबर को कांग्रेस की राज्य इकाई के प्रमुख अजय राय की उपस्थिति में पार्टी में शामिल होने की संभावना है।

पूर्व सांसद ने समाजवादी पार्टी से अपने इस्तीफे की पुष्टि की। कांग्रेस पार्टी में शामिल होने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ”यह शामिल होना नहीं, बल्कि घर वापसी है।” रवि प्रकाश वर्मा के पिता बाल गोविंद वर्मा ने 1962, 1967, 1972 और 1980 में कांग्रेस टिकट पर लोकसभा चुनाव जीता था और लखीमपुर खीरी का प्रतिनिधित्व किया था। वर्ष 1980 में उनकी मृत्यु के बाद उनकी पत्नी ऊषा वर्मा ने 1980, 1984 और 1989 में लखीमपुर खीरी का प्रतिनिधित्व किया। बाद में ऊषा वर्मा समाजवादी पार्टी में शामिल हो गईं, जिसके बाद वह 1998, 1999 और 2004 में समाजवादी पार्टी से सांसद बने। समाजवादी पार्टी से अलग होने के संबंध में रवि प्रकाश वर्मा ने कहा कि सपा में दो दशक से भी अधिक समय के बाद उन्हें अब लगता है कि पार्टी नेतृत्व अपने मूल सिद्धातों से भटक गया है, जिसे मुलायम सिंह यादव ने स्थापित किया था।

 

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