कर्नाटक विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद मानो विपक्ष को संजीवनी मिल गई है। 2024 की सियासी बिसात बिछाई जाने लगी है, भारतीय जनता पार्टी को केंद्र की सत्ता में तीसरी बार आने से रोकने के लिए विपक्षी एकता का ताना-बाना तेजी से बुना जाने लगा है। जो पार्टियां अभी तक कांग्रेस से दूरी बनाकर चल रही थी, जिन्हें राहुल गांधी के नेतृत्व पर भरोसा नहीं था। अब उनके सुर बदलने लगे हैं। लेकिन वह चाहते हैं कि कांग्रेस को उन्हीं 200 संसदीय सीटों पर फोकस करना चाहिए, जहां बीजेपी से उनकी सीधी लड़ाई है। ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है, कि आखिर वो 200 सीटें कौन सी है और उनके समीकरण क्या है?
पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी का मन कर्नाटक की जीत को लेकर कांग्रेस के लिए बदल गया है। कुछ दिन पहले उन्होंने कहा था- जहां-जहां कांग्रेस मजबूत है, उनकी पार्टी समर्थन देने को तैयार है। उन्होंने कहा कि जहां भी कोई क्षेत्रीय राजनीतिक दल मजबूत है, वहां भाजपा नहीं लड़ सकती। जो दल किसी क्षेत्र विशेष में मजबूत हैं, उन्हें मिलकर लड़ना चाहिए।
मैं कर्नाटक में कांग्रेस का समर्थन कर रही हूं, लेकिन उन्हें बंगाल में मेरे खिलाफ नहीं लड़ना चाहिए। बंगाल में कांग्रेस को टीएमसी की मदद करनी होगी। ममता बनर्जी ने कहा कि मैं कोई जादूगर नहीं हूं न ही ज्योतिषी हूं। भविष्य में क्या होगा? यह नहीं कह सकती। लेकिन एक बात बता सकती हूं कि जहां-जहां क्षेत्रीय पार्टियां मजबूत है, वहां बीजेपी लड़ नहीं सकती है। कर्नाटक में डाला गया वोट बीजेपी सरकार के खिलाफ एक महत्वपूर्ण जनादेश है।
अखिलेश यादव का कहना है कि राष्ट्रीय स्तर पर नेतृत्व में कांग्रेस का हो लेकिन किस राज्य में वह लड़ रहे हैं वहां की सबसे मजबूत पार्टी के हाथ में वहां का नेतृत्व होना चाहिए। मतलब गठबंधन तो एक रहे, लेकिन नेता कई बनाया जाए। लेकिन कांग्रेस इसके लिए तैयार होगी की नहीं यह कहना अभी मुश्किल है।
इसका सीधा मतलब ये है कि जिन राज्यों में कांग्रेस मजबूत है वो वहां ध्यान दें और बाकी क्षेत्रीय दलों के लिए छोड़ दें। इस फॉर्मूले के हिसाब से पश्चिम बंगाल में टीएमसी, उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी, बिहार में आरजेडी और जेडीयू, महाराष्ट्र में एनसीपी-शिवसेना, तमिलनाडु में डीएमके, दिल्ली-पंजाब में आम आदमी पार्टी के खिलाफ कांग्रेस से उम्मीदवार नहीं उतारने का आइडिया दिया जा रहा है।
इनके अलावा आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल की सीटें भी शामिल हैं। ममता बनर्जी के मुताबिक 200 सीटें ऐसी हैं, जिनपर विपक्षी भी समर्थन दे सकती हैं. ऐसे में वो 200 सीटें कौन सी हो सकती हैं इसको जानना जरूरी है। मध्य प्रदेश में 29, कर्नाटक में 28, गुजरात में 26, राजस्थान में 25, असम में 14, छत्तीसगढ़ में 11 और हरियाणा में 10 सीटें आती हैं।
इन सभी राज्यों की सीटें जोड़ दें तो ये आंकड़ा 143 का हो जाता है। यहां कांग्रेस और बीजेपी में सीधी लड़ाई है। इन सीटों पर कांग्रेस को विपक्षी दलों का सपोर्ट कांग्रेस को देने की बात हो रही है। इसके अलावा बड़े राज्यों में चार-पांच सीटें देकर आंकड़ा 200 पहुंचाने का है। जैसे की बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल। यही फॉर्मूला लेकर बिहार के सीएम नीतीश कुमार भी लेकर निकले थे, लेकिन कर्नाटक की जीत ने विपक्ष का सारा बना बनाया गेम खराब कर दिया है।