कर्नाटक के गृहमंत्री जी परमेश्वर ने कहा कि मुझे व कई दलित नेताओं को पहले और अब नजरअंदाज किया गया है। इन नेताओं में मुख्यमंत्री बनने के लिए तमाम क्षमताएं होने के बावजूद उन्हें इस मौके से दूर रखा गया। गृहमंत्री ने दलित समुदाय के लोगों से एकजुट रहने की अपील की है।

जी परमेश्वर ने कहा कि 2013 में कांग्रेस पार्टी ने मेरी अध्यक्षता में चुनाव लड़ा था लेकिन मुझे इसका श्रेय नहीं दिया गया। हमे अपने भीतर की हीनभावना से बाहर आना होगा, यही वजह है कि मैं खुलकर कहता हूं कि मैं मुख्यमंत्री बनूंगा।

गृहमंत्रि ने कहा आखिर मुझे मुख्यमंत्री क्यों नहीं बनना चाहिए। आखिर क्यों केएच मुनियप्पा को मुख्यमंत्री बनना चाहिए। आखिर मुनियप्पा, परमेश्वर, महादेवप्पा या बसवालिंगप्पा, एन रचिया और रंगनाथ में किस क्षमता की कमी है।

बेंगलुरू में एक कार्यक्रम में बोलते हुए परमेश्वर ने कहा कि हमे अवसरों से वंचित रखा गया। हमे एकजुट होकर अपनी आवाज उठानी चाहिए और इसे ध्यान में रखते हुए ही वोट करना चाहिए। साथ ही परमेश्वर ने लोगों को संविधान की महत्ता की याद दिलाई।

गौर करने वाली बात है कि परमेश्वर पहले भी खुलकर मुख्यमंत्री पद की मांग कर चुके हैं। जब सिद्धारमैया को कांग्रेस ने इस पद के लिए पिछले महीने चुना था तो उन्होंने स्पष्ट कहा था कि अगर केंद्रीय नेतृत्व दलित को उपमुख्यमंत्री का पद नहीं देता है तो इसके दुष्परिणाम होंगे और पार्टी मुश्किल में पड़ सकती है।

बता दें कि जी परमेश्वर कांग्रेस-जेडीएस की सरकार में उपमुख्यमंत्री थे। इसके साथ ही वह कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सबसे लंबी अवधि तक मुखिया रहने वाले नेता हैं। 2013 के चुनाव में वह हार गए ते, इस दौरान वह केपीसीसी के अध्यक्ष थे।

2013 में परमेश्वर मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे, लेकिन चुनाव में उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था। हालांकि उन्हें एमएलसी बनाया गया और सिद्धारमैया सरकार में वह मंत्री भी रहे। गौर करने वाली बात है कि कांग्रेस ने 2013 में सरकार में आई ती। परमेश्वर ने कहा कि उस वक्त पार्टी का अध्यक्ष मैं था और मेरे नेतृत्व में चुनाव लड़ा गया था। लेकिन मुझे जीत का श्रेय किसी ने नहीं दिया।

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