उत्तर प्रदेश के हाथरस में हुए हादसे का मुख्य आरोपी भोले बाबा का सेवादार मधुकर दूसरी ही फिराक में जुट गया। वह हादसे में मारे गए लोगों की मदद करने की बजाय वहां से भाग निकला। इतना ही नहीं वहां मौजूद अन्य सेवादार भी भाग निकले। सभी ने अपना मोबाइल बंद कर दिया।
पुलिस का कहना है कि सत्संग के दौरान जब पुलिस कर्मी पंडाल में जाने को हुए तो उन्हें रोक दिया गया। इतना ही नहीं वीडियोग्राफी जब करने की कोशिश की गई तो सेवादार पुलिस की टीम से भिड़ गए थे। इन लोगों ने न तो खुद व्यवस्था संभाली और न ही पुलिस को संभालने दी।
सिकंदराराऊ के गांव फुलरई मुगलगढ़ी में सत्संग के बाद हुए हादसे के बाद मुख्य आयोजक देवप्रकाश ने जैसे ही मौत होते देखी वह निजी वाहन से एटा और वहां से दिल्ली पहुंच गया। दिल्ली में देवप्रकाश अपने साले के पास रुका था।
देवप्रकाश मधुकर ने एसडीएम सिकंदराराऊ के समक्ष सत्संग की अनुमति के लिए जो आवेदन किया था, उसमें 80 हजार लोगों के आने की उम्मीद जताई थी। लेकिन आयोजकों ने यहां डेढ़ लाख से भी अधिक की भीड़ इकट्ठा कर ली। भीड़ में महिलाओं की संख्या ज्यादा थी। पंडाल में जितने लोग बैठे थे उससे ज्यादा पंडाल के बाहर थे। पुलिस का कहना है कि भगदड़ में मरने वाले सभी 121 लोग पंडाल के बाहर ही बैठे थे। पंडाल वाले लोग तो उस वक्त तक बाहर आ ही नहीं आ सके थे।