नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने आर्थिक रूप से पिछड़े मुसलमानों को आरक्षण का समर्थन किया है। उन्होंने कहा है कि वह तुष्टिकरण की राजनीति के खिलाफ हैं लेकिन मुसलमान समुदाय के बीच में ही आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को कोटा दिए जाने की भी बात उठती है, मैं पूरे समुदाय को कोटा दिए जाने के खिलाफ हूं हालांकि आर्थिक तौर पर पिछड़े मुसलमानों को जरूर आगे बढ़ाना चाहिए।
उमर अब्दुल्ला का मीडिया को दिया यह इंटरव्यू ऐसे समय आया है जब लोकसभा चुनाव की रैलियों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार ये आरोप लगा रहे हैं कि कांग्रेस पार्टी अपनी वोट बैंक की राजनीति के लिए एससी, एसटी और ओबीसी को मिलने वाला आरक्षण मुसलमान समुदाय को देने की साजिश कर रही है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि तुष्टिकरण की राजनीति का समर्थन करने वाला मैं आखिरी आदमी हो सकता हूं, लेकिन भाजपा के साथ समस्या ये है कि यह दिखाने के लिए कि वे मुसलमानों का तुष्टिकरण नहीं कर रहे हैं, वे दूसरे रास्ते पर जा रहे हैं। असल में वे मुसलमानों को प्रताड़ित कर रहे हैं और उन्हें उनके उचित हक से वंचित कर रहे हैं। अपनी बात को पुष्ट करने के लिए उन्होंने सच्चर समिति की रिपोर्ट का हवाला दिया, जो कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार (2004-14) के दौरान बनाई गई थी। वह कहते हैं कि मुसलमानों की आर्थिक दुर्दशा के किसी भी आकलन को देखें, तो उन्हें अपने उचित हिस्से से अधिक नहीं मिला है। उन्होंने इस बात पर जोर देते हुए कि समुदाय का तुष्टीकरण किसी अन्य की कीमत पर नहीं किया गया है। मुसलमान संभवत देश में सबसे वंचित समुदाय हैं।
बारामूला से लोकसभा चुनाव प्रत्याशी उमर अब्दुल्लाह ने कहा कि ये बड़ी शर्म की बात है कि देश की आबादी में 14 फीसदी हिस्सा रखने वाले मुसलमान समुदाय से एक भी शख्स सत्ताधारी पार्टी की ओर से लोकसभा या राज्यसभा में नहीं गया। इतने सालों में मोदी कैबिनेट में एक भी मुस्लिम चेहरा नहीं रहा। अपने परिवार पर वंशवाद की राजनीति के आरोपों पर उन्होंने कहा कि भाजपा भी अन्य पार्टियों की तरह ही दोषी है। इस चुनाव में भाजपा के टिकटों का पांचवां हिस्सा उसके नेताओं के परिवार के सदस्यों को गया है। देखिए कि कैसे उन्होंने भारतीय कुश्ती महासंघ के दागी प्रमुख बृजभूषण सिंह को हटा दिया लेकिन उनके बेटे को टिकट दे दिया। उनकी समस्या केवल ऐसी वंशवादी पार्टियों से है जो उनका विरोध करती हैं।
भाजपा द्वारा कश्मीर की तीन लोकसभा सीटों में से किसी पर भी चुनाव नहीं लड़ने पर उमर ने भगवा पार्टी पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के खिलाफ अपने उम्मीदवारों को खड़ा करने और उनका समर्थन करने का आरोप लगाया। उन्होंने बारामूला में अपने मुख्य प्रतिद्वंद्वी पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के सज्जाद लोन का नाम लेते हुए कहा कि घाटी में इस चुनाव में भाजपा का कोई
चुनाव चिन्ह न हो, लेकिन वह पर्दे के पीछे चुनाव प्रक्रिया का हिस्सा है। महबूबा मुफ़्ती और पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आज़ाद के नेतृत्व वाली डेमोक्रेटिक पार्टी को कश्मीर की भाजपा-गठबंधन वाली पार्टियां कहा जाता है।