कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने हाल ही में आए उपभोग खर्च सर्वे को “चुनाव से प्रेरित सर्वे” करार देते हुए मंगलवार को दावा किया कि सरकार ने अपनी पीठ थपथपाने की नाकाम कोशिश की है।

उन्होंने यह भी कहा कि अगर केंद्र में ‘इंडिया’ गठबंधन की सरकार बनती है तो देश में जाति आधारित जनगणना करवाई जाएगी ताकि सही आंकड़ा एकत्र हो सके।

राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) के ताजा अध्ययन के मुताबिक, देश में परिवारों का प्रति व्यक्ति मासिक घरेलू खर्च 2011-12 की तुलना में 2022-23 में दोगुना से अधिक हो गया है।

गत शनिवार को जारी आधिकारिक बयान के अनुसार, सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के तहत एनएसएसओ ने अगस्त, 2022 से जुलाई, 2023 के दौरान परिवारों का उपभोग खर्च सर्वेक्षण (एचसीईएस) किया।

खरगे ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, “10 साल की गहन निद्रा में खर्राटे लेने के बाद, आख़िरकार मोदी सरकार, जनता के ख़र्च और आमदनी पर एक “चुनाव से प्रेरित सर्वे” लाई है। सर्वे में मोदी सरकार ने अपनी पीठ थपथपाने की नाकाम कोशिश की है।”

उन्होंने सवाल किया, “अगर देश में सब कुछ इतना चमकदार है, जैसा इन परिवारों के उपभोग खर्च सर्वे में दर्शाया जा रहा है तो ग्रामीण भारत के सबसे ग़रीब 5 प्रतिशत अर्थात क़रीब 7 करोड़ लोग रोज़ाना केवल 46 रुपये ही ख़र्च क्यों करते हैं?

खरगे ने कहा, क्यों सबसे गरीब पांच प्रतिशत परिवारों को सबसे कम – केवल 68 रुपये प्रति माह का ही लाभ सरकारी योजनाओं से मिला? बाक़ी का लाभ क्या पूंजीपति मित्रों को ही मिला?”

उन्होंने यह सवाल भी किया, “किसानों की मासिक आमदनी ग्रामीण भारत की औसत आमदनी से कम क्यों है? क्यों ग्रामीण परिवारों का ईंधन पर खर्च केवल 1.5 प्रतिशत ही घटा, जबकि मोदी सरकार उज्ज्वला योजना की सफलता का ढिंढोरा पीटती फिरती है?”

उनके अनुसार, “नीति आयोग के अधिकारी अब कह रहे हैं कि इन आंकड़ों के मुताबिक़ अब भारत में ग़रीबी केवल पांच प्रतिशत ही रह गई है, बल्कि उसी नीति आयोग के बहुआयामी गरीबी सूचकांक की एक दूसरी रिपोर्ट के अनुसार ग़रीबी का आंकड़ा 11.28 प्रतिशत है। दोनों सर्वे/रिपोर्ट एक ही वर्ष 2022-23 के हैं। ग़रीबों का मज़ाक़ क्यों उड़ा रही है मोदी सरकार?”

उन्होंने कहा, “विशेषज्ञ कह रहे हैं कि सरकार इस सर्वे से खाद्य मुद्रास्फीति के आंकड़ों को नापने के मापदंड में बदलाव कर सकती है। क्या ये कमरतोड़ महंगाई को फ़र्ज़ी आंकड़ों से छिपाने की क़वायद नहीं है?”

उन्होंने कहा, “क्या मोदी सरकार ‘जीडीपी बेस ईयर’ का चुनावी फ़ायदा लेना चाहती थी और असली तथ्य छिपाना चाहती थी?

उन्होंने दावा किया कि इस परिवारों का उपभोग खर्च सर्वे का नामांकन 69वां चरण या 70वां चरण होना चाहिए था, पर इस सर्वे के नाम में ये कौन सा चरण है, वही जान-बूझकर ग़ायब कर दिया गया है ताक़ि आंकड़ों की हेराफेरी पकड़ी ही नहीं जा सके!

उन्होंने कहा, “मोदी जी, सब कुछ डुबाकर, डुबकी ज़रूर लगाइये, पर वर्षों से अर्जित भारत के सर्वमान्य डाटा संग्रह व सर्वेक्षणों की साख मत डुबाइये।”

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, “हमारी एक ही मांग है, सही जानकारी के लिए 2021 की जनगणना जल्द से जल्द होनी चाहिए और जाति आधारित जनगणना उसका अंग होनी चाहिए।”

खरगे ने कहा, “कांग्रेस पार्टी ‘इंडिया’ गठबंधन की सरकार बनते ही यह जरूर करवाएगी।”

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