नई दिल्ली। सोमवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक हुई। बैठक के दौरान अमेरिका और चीन-रूस उत्तर कोरिया के मुद्दे पर भिड़ गए। दरअसल उत्तर कोरिया ने हाल के समय में दर्जनों बैलेस्टिक मिसाइलें और परमाणु हथियार विकसित कर लिए हैं। ऐसे में सुरक्षा परिषद के सदस्य देश एक दूसरे को इसके लिए जिम्मेदार ठहराते दिखे। गुरुवार को ही उत्तर कोरिया ने इंटरकॉन्टिनेंटल बैलेस्टिक मिसाइल हासोंग 17 का परीक्षण किया है। इसी मुद्दे पर बातचीत के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 15 सदस्यीय परिषद की बैठक हुई।

बैठक के दौरान रूस के डिप्टी यूएन राजदूत एना एस्टिग्नीवा ने कहा कि अमेरिका और दक्षिण कोरिया की सैन्य गतिविधियां अभूतपूर्व हैं। वहीं चीन के डिप्टी यूएन राजदूत गेंग शुआंग ने भी अमेरिका और दक्षिण कोरिया के सैन्य अभ्यास पर चिंता जाहिर की है और कहा कि इसके चलते क्षेत्र में तनाव बढ़ा।

रूस और चीन ने अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के बीच बने ऑकस को लेकर भी चिंता जाहिर की। इसके तहत अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया को परमाणु हथियार लाने ले जाने में सक्षम सबमरीन बनाने में मदद करेंगे। हालांकि अमेरिका ने कहा कि ऑकस से परमाणु अप्रसार संधि का उल्लंघन नहीं होता है।

अमेरिका की यूएन राजदूत लिंडा थॉमस ग्रीनफील्ड ने कहा कि अमेरिका और दक्षिण कोरिया के बीच सैन्य अभ्यास लंबे समय से हो रहा है और यह एक रूटीन प्रक्रिया है। अमेरिका ने रूस और चीन पर उत्तर कोरिया को प्रतिबंधों से बचाने का आरोप भी लगाया। बता दें कि बीते कई सालों से सुरक्षा परिषद उत्तर कोरिया के मुद्दे पर बंटी हुई है, जिसके एक धड़े में अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस हैं। वहीं दूसरे धड़े में चीन और रूस शामिल हैं।

वहीं संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने कहा कि वह इस बात से बेहद चिंतित हैं कि देशों के बीच काफी मतभेद हैं, जिसकी वजह से दुनिया के सभी देश उत्तर कोरिया के खिलाफ ज्यादा कुछ नहीं कर पा रहे हैं।

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