देश में कुछ ही दिनों में होने वाले लोकसभा चुनावों के ऐलान से पहले ही चुनावी बॉन्ड यानी इलेक्टोरल बॉन्ड की वैधता के संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला 15 फरवरी को सुना दिया है। लोकसभा चुनावों से पहले आया ये फैसला काफी अहम है। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने बीते वर्ष 31 अक्टूबर से नियमित सुनवाई की थी। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने लगातार तीन दिन तक भी सुनवाई की थी। वहीं अब इस मामले पर कोर्ट का फैसला आ गया है।

सुप्रीम कोर्ट चुनावी बॉन्ड स्कीम की कानूनी वैधता से जुड़े मामले में सर्वसम्मति से अपना फैसला सुना दिया है। इस मामले पर कोर्ट ने कहा कि वेंच में दो विचार आए हैं मगर फैसला सर्वसम्मति से सुनाया गया है। इस मामले पर फैसला आने के साथ ही सुनवाई पूरी हो गई है। इस मामले पर पांच जजों की बेंच ने सुनवाई की है। जस्टिस संजीव खन्ना के विचार इस मामले पर थोड़े अलग दिखे है। सरकार से पूछना जनता का कर्तव्य है। बता दें कि इस मामले की सुनवाई प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-सदस्यीय संविधान पीठ ने की है, जिसमें जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल थे। इस सुनवाई के दौरान पक्ष और विपक्ष दोनों की दलीलें सुनी गई है। कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद 31 अक्टूबर से दो नवंबर तक सुनवाई की थी और अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

बता दें कि ये मामला राजनीतिक दलों को गुमनाम तरीकों से चंदा देने की अनुमति वाले इलेक्टोरल बॉन्ड से संबंधित है। इस फैसले में कहा गया है कि इलेक्टोरल बॉन्ड सूचना के अधिकार का उल्लंघन है। मतदाताओं को पार्टियों में होने वाली फंडिंग के बारे में जानने का पूरा हक दिया जाना चाहिए। बता दें कि इस योजना को सरकार ने 2018 में अधिसूचित किया था, जिसके अनुसार चुनावी बॉण्ड को भारत का कोई भी नागरिक या देश में स्थापित इकाई खरीद सकती है।

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