झारखंड सामान्य स्नातक स्तरीय संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा (जेजीजीएलसीसीई) के मद्देनजर शनिवार और रविवार को राज्य भर में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं पांच घंटे से अधिक समय के लिए निलंबित करने का फैसला लिया। वहीं इस फैसले के खिलाफ जनहित याचिका दायर की गई है। जिस पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से  इंटरनेट बंद करने पर जवाब मांगा।

वहीं शनिवार को हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस आनंद सेन और जस्टिस अनुधा रावत चौधरी की बेंच ने याचिका पर सुनवाई की। सुनवाई के दौरान अदालत ने राज्य सरकार से जवाब मांगा कि इंटरनेट बंद करने के लिए क्या नीति है। साथ ही ये भी पूछा कि  क्या हर बार सभी परीक्षाओं में इसी तरह इंटरनेट बंद किया जाएगा। वहीं इस संबंध में अदालत ने  चार सप्ताह में एफिडेविट के माध्यम से जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। वहीं अदालत में दायर जनहित याचिका में कहा गया कि इंटरनेट सुविधा बंद किये जाने से रोजाना के काम में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है और इसका प्रभाव लोगों के कामकाज पर पड़ रहा है।

वहीं राज्य सरकार की ओर से दलील दी गई कि परीक्षा में किसी तरह की गड़बड़ी ना हो, इसलिए केवल मोबाइल की इंटरनेट सुविधा बंद की गई है। बाकी इंटरनेट की सुविधाएं पहले की तरह चल रही हैं।  इधर,राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन ने दलीलें पेश की। वहीं स्टेट बार काउंसिल के चेयरमैन राजेंद्र कृष्णा ने स्वयं इस मामले में बहस की।

 

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