तेलंगाना राज्य आज लगातार सक्षम और सशक्त होता जा रहा है। यह केंद्र के भरोसे नहीं है। राज्य की के चंद्रशेखर राव की सरकार ने जो कदम उठाए हैं, उसकी वजह से यह पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनने की ओर है। भारत के जो राज्य हमेशा से आर्थिक तौर पर ज्यादा मजबूत माने जाते रहे हैं, उन्हें अब तेलंगाना कड़ी टक्कर दे रहा है।
लक्ष्य हासिल करने के लिए जिन योजनाओं पर अमल किया जा रहा है, उसके नतीजे उम्मीदों से बेहतर आ रहे हैं। यह सब तब हो रहा है, जब केंद्र से राज्य का बकाया फंड मिलने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इन हालातों में तेलंगाना ने आत्मनिर्भरता को ही अपना मूल-मंत्र बना लिया है।
आज जब तेलंगाना अपने एक दशक का उत्सव मना रहा है तो देश में उसकी एक जलविद्युत शक्ति के रूप में पहचान बन चुकी है। यह नया प्रदेश उन राज्यों के मुकाबले में खड़ा है, जो आर्थिक रूप से पहले से ही ज्यादा संपन्न और समर्थ माने जाते रहे हैं। केंद्र से पूर्ण सहयोग नहीं मिल पाने के बावजूद यह अपने पैरों पर खड़ा हुआ है और दिन-प्रतिदिन तरक्की कर रहा है।
बीते वित्त वर्ष में तेलंगाना ने उम्मीदों के अनुसार राजस्व जुटाने में सफलता हासिल की है। पिछले वित्त वर्ष के पहले दो महीनों में इसे 20,238 करोड़ रुपए का राजस्व मिला था। जबकि, चालू वित्त वर्ष के इसी अवधि में इसने 31,700 करोड़ रुपए के राजस्व जुटाए हैं। इनमें से 7,430 करोड़ रुपए वस्तु करों से और 2,358 करोड़ रुपए बिक्री कर से प्राप्त हुए हैं।
मौजूदा वित्त वर्ष के पहले दो महीनों में तेलंगाना के खजाने में 2,683 करोड़ रुपए उत्पाद शुल्क के रूप में आए हैं और 891 करोड़ रुपए गैर-कर राजस्व के तौर पर मिले हैं। इनके अलावा 2,358 करोड़ रुपए स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन से जुटाए गए हैं।
जबकि, प्रदेश को केंद्र सरकार का सहयोग तो नहीं ही मिल पा रहा है, उसके जो फंड बकाया हैं, उसे देने में भी वह आनाकानी करता है। राज्य के वित्त विभाग का अनुमान था कि साल 2022-23 में उसे केंद्रीय सहायता के रूप में 41,001 करोड़ रुपए मिलेंगे। लेकिन, केंद्र ने मात्र 13,087 करोड़ रुपए जारी किए।
तेलंगाना के साथ केंद्र का सौतेला बर्ताव जारी है। मौजूदा वित्त वर्ष में भी केंद्र ने राज्य को नहीं के बराबर वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई है। मई में सिर्फ 1,438 करोड़ रुपए जारी किए थे। तेलंगाना सरकार के वित्त विभाग का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में प्रदेश को 41,259 करोड़ रुपए की केंद्रीय सहायता मिलनी चाहिए। लेकिन, चौथा महीना बीत रहा है और इसने इसके मात्र 3% जारी किए हैं।
लगता है कि केंद्र को सिर्फ बीजेपी-शासित राज्यों से ही मतलब रह गया है। वह तेलंगाना के साथ दुर्भावना वाला बर्ताव कर रहा है। जबकि, देश की आर्थिक तरक्की में तेलंगाना का पूर्ण समर्थन है, फिर भी राजनीतिक वजहों से यह भेदभाव का शिकार हो रहा है।
हालांकि, यह राज्य अपने दम पर आगे बढ़ रहा है और पहले से संपन्न राज्यों से मुकाबला कर रहा है। आज इसे ही तेलंगाना का गवर्नेंस मॉडल कहा जा रहा है।