भारत में विभिन्न भाषाएं बोली जाती हैं, लेकिन सबसे ज्यादा हिंदी बोली, लिखी व पढ़ी जाती है। दुनियाभर में हिंदी तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। हिंदी दुनियाभर के भारतीयों को भावनात्मक रूप से एक साथ जोड़ने का काम करती है। 1918 में गांधी जी ने हिंदी साहित्य सम्मेलन में हिंदी को जनमानस की भाषा कहते हुए राजभाषा बनाने को कहा था।
अंग्रेजी और चीनी भाषा के बाद हिंदी पूरी दुनिया में तीसरी सबसे बड़ी भाषा है लेकिन उसे अच्छी तरह से समझने, पढ़ने और लिखने वालों की संख्या बहुत कम है, जो और भी कम होती जा रही है। इसके साथ ही हिंदी भाषा पर अंग्रेजी के शब्दों का भी बहुत अधिक प्रभाव हुआ है। इस कारण ऐसे लोग, जो हिंदी का ज्ञान रखते हैं या हिन्दी भाषा जानते हैं, उन्हें हिंदी के प्रति अपने कर्त्तव्य का बोध करवाने के लिए इस दिन को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है, ताकि वे हिन्दी भाषा को भविष्य में विलुप्त होने से बचा सकें।
इसका मुख्य उद्देश्य वर्ष में एक दिन इस बात से लोगों को रूबरू कराना है कि जब तक वे हिंदी का इस्तेमाल पूरी तरह से नहीं करेंगे, तब तक हिंदी भाषा का विकास नहीं हो सकता। इस एक दिन सभी सरकारी कार्यालयों में अंग्रेजी के स्थान पर हिन्दी का इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है। सरकार द्वारा हिंदी को प्रोत्साहित करने के लिए बहुत से कदम उठाए गए हैं। प्रधानमंत्री से लेकर मंत्रीगण राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर अपने भाषण हिंदी में ही करते हैं। सरकार में बैठे लोगों द्वारा हिंदी में कामकाज और बातचीत करने का प्रभाव जनता पर भी पड़ा है। अब जनता भी सोशल मीडिया के साथ-साथ अपने काम हिंदी में करने लगी है, जिससे हिंदी का भविष्य उज्ज्वल दिखाई देने लगा है।
राजेंद्र सिंह, हजारी प्रसाद द्विवेदी, काका कालेलकर, मैथिलीशरण गुप्त और सेठ गोविंद दास गोविंद जैसे लोगों ने हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा बनाए जाने के पक्ष में कड़ी पैरवी की थी। इतिहासकारों का मानना है कि हिंदी विद्वानों द्वारा अपनी महान साहित्यिक कृतियों में इस्तेमाल की जाने वाली प्रमुख भाषा रही है। रामचरितमानस एक साहित्यिक कृति है, जो हिंदी में भगवान राम के जीवन का वर्णन है और गोस्वामी तुलसीदास की सबसे महत्वपूर्ण कृतियों में से एक है, जिसे 16वीं शताब्दी में लिखा गया था। हिंदी दिवस के दौरान कई कार्यक्रम होते हैं। इस दिन छात्र-छात्राओं को हिंदी के प्रति सम्मान और दैनिक व्यवहार में हिंदी का इस्तेमाल करने आदि की शिक्षा दी जाती है, जिसमें हिंदी निबंध लेखन, वाद-विवाद, हिंदी टंकण प्रतियोगिता आदि होती हैं।
हिंदी दिवस पर हिंदी के प्रति लोगों को प्रेरित करने हेतु भाषा सम्मान की शुरुआत की गई है। दिल्ली में राष्ट्रपति भवन में मुख्य समारोह आयोजित किया जाता है। इस दौरान हिंदी भाषा में अतुलनीय योगदान के लिए लोगों को राजभाषा पुरस्कार से नवाजा जाता है। यह सम्मान प्रतिवर्ष देश के ऐसे व्यक्तित्वों को दिया जाता है, जिन्होंने जन-जन में हिंदी भाषा के इस्तेमाल एवं उत्थान के लिए विशेष योगदान दिया हो। यह पहले राजनेताओं के नाम पर था, जिसे बाद में बदल कर राजभाषा कीर्ति पुरस्कार और राजभाषा गौरव पुरस्कार कर दिया गया।
राजभाषा गौरव पुरस्कार तकनीकी या विज्ञान के विषय पर हिंदी में लिखने वाले किसी भी भारतीय नागरिक को दिया जाता है। इसमें 10,000 से लेकर 2 लाख रुपए के पुरस्कार होते हैं। प्रथम पुरस्कार प्राप्त करने वाले को 2 लाख रुपए, द्वितीय को डेढ़ लाख रुपए और तृतीय को 75,000 रुपए मिलते हैं। 10 लोगों को प्रोत्साहन पुरस्कार के रूप में 10-10 हजार रुपए प्रदान किए जाते हैं। सभी को स्मृति चिह्न भी दिया जाता है। इस वर्ष प्रथम पुरस्कार ‘भारतीय हिमालय जीवन और जीविका’ नामक पुस्तक के लिए प्रो. अतुल जोशी को दिया जा रहा है। राजभाषा कीर्ति पुरस्कार किसी विभाग, समिति आदि को उसके द्वारा हिन्दी में किए गए श्रेष्ठ कार्यों के लिए दिया जाता है।