प्रयागराज में अपनी मांगों को लेकर उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के सामने प्रदर्शन कर रहे छात्रों के साथ मानमुनव्वल से काम नहीं बनने के बाद पुलिस ने सख्ती दिखाना शुरू कर दी है। आज प्रातः करीब आठ बजे अचानक पुलिस फोर्स धरना स्थल पर पहुंची और कुछ छात्रों को पकड़ कर ले गई। इनमें समाजवादी पार्टी से जुड़ा छात्र नेता आशुतोष पांडे भी शामिल हैं जो उस वक्त धरने का नेतृत्व कर रहा था। इस खींचतान में धरने पर बैठी कई छात्राओं के भी चोट लगने के आरोप हैं।कहा जा रहा है कि तमाम पुलिस कर्मी बिना वर्दी के थे। छात्राओं का कहना है कि उनके साथ कोई महिला पुलिसकर्मी नहीं थी। छात्राओं के साथ अभद्रता भी हुई है। अब छात्राओं ने ही मोर्चा संभाल लिया है और धरने का खुद नेतृत्व कर रही हैं। मौके पर तनाव की स्थिति बनी हुई है। धरना स्थल के चारों तरफ बैरिकेडिंग और ज्यादा कर दी गई है। छात्र पुलिस प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं।
इससे पूर्व गत दिवस उप्र. लोकसेवा आयोग के कार्यालय के बाहर चल रहे प्रदर्शन के दौरान तोड़फोड़ में सपा नेता समेत तीन को जेले भेजा जा चुका है। इन पर सरकारी बैरियर, कोचिंग का बोर्ड तोड़ने व अशांति फैलाने के मामले में बुधवार को बड़ी कार्रवाई हुई। पुलिस ने सपा नेता समेत तीन लोगों को जेल भेज दिया। सपा नेता समेत दो पर एक दिन पहले दर्ज कराए गए मुकदमे जबकि एक अन्य आरोपी का शांतिभंग में चालान हुआ। अज्ञात आरोपियों की पहचान के प्रयास जारी हैं।
जेल भेजे गए आरोपियों में सपा लोहिया वाहिनी का राष्ट्रीय महासचिव राघवेंद्र यादव, अभिषेक शुक्ला व शशांक दुबे शामिल हैं। राघवेंद्र व अभिषेक सिविल लाइंस थाने में दर्ज मुकदमे में नामजद आरोपी हैं। राघवेंद्र मूल रूप से जौनपुर व अभिषेक मिर्जापुर का रहने वाला है।
पुलिस का दावा है कि मंगलवार को सरकारी बैरियर, कोचिंग का बोर्ड तोड़ने वालों में दोनों शामिल थे। उन्हें वीडियो फुुटेज से चिह्नित किया गया है। सिविल लाइंस थाने में लोकसेवा आयोग चौकी प्रभारी कृष्णमुरारी चौरसिया की तहरीर पर कुल 12 लोगों पर एफआईआर दर्ज की गई थी। इनमें से दो नामजद जबकि शेष अज्ञात थे। पुलिस अज्ञात आरोपियों को चिह्नित करने के लिए वीडियो फुटेज खंगालने में जुटी है।
पुलिस के मुताबिक, जेल भेजा गया तीसरा आरोपी शशांक मूल रूप से करौरा, औरैया का रहने वाला है जो यहां रहकर खुद को प्रतियोगी छात्र बताता है। वह उन 10 लोगों में शामिल था जिन्हें 12 नवम्बर मंगलवार को आंदोलन की आड़ में अशांति फैलाने के आरोप में हिरासत में लिया गया था। इनमें से नौ को तो एसीपी कोर्ट से जमानत दे दी गई लेकिन शशांक को जेल भेज दिया गया। आरोप यह भी है कि शशांक जबरन कोचिंग बंद कराने पहुंचा था और आयोग के पास भी माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर रहा था। चौकी प्रभारी की ओर से एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि मंगलवार को दोपहर करीब एक बजे आयोग के गेट नंबर दो के सामने नगर निगम के खंभे पर लगा कोचिंग का बोर्ड कुछ अराजक तत्वों ने सरकारी लोहे के मोबाइल बैरियर पर चढ़कर तोड़ दिया। सरकारी बैरियर भी क्षतिग्रस्त कर दिया।