उत्तर प्रदेश में बरेली के अपर सत्र न्यायाधीश (फास्ट ट्रैक अदालत-प्रथम) रवि कुमार दिवाकर ने अल्पसंख्यक समुदाय के एक युवक को पहचान छुपाकर बहुसंख्यक वर्ग की युवती से दुष्कर्म और धर्म परिवर्तन की कोशिश के मामले में सोमवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाने के बाद कथित ‘लव जिहाद’ को लेकर तल्ख टिप्पणी की। न्यायाधीश रवि कुमार दिवाकर ने कहा कि ‘लव जिहाद’ का प्राथमिक उद्देश्य जनसांख्यिकीय युद्ध छेड़ना और अंतरराष्ट्रीय साजिश के माध्यम से भारत के खिलाफ कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा प्रभुत्व स्थापित करना है। उन्होंने कहा अवैध धर्मांतरण का उद्देश्य भारत में पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसी स्थितियां पैदा करना है।

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, दिवाकर ने इस बात पर जोर दिया कि अवैध धर्मांतरण देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता के लिए एक बड़ा खतरा है। उन्होंने सोमवार को देवरनिया क्षेत्र के जादौंपुर के निवासी मोहम्मद आलिम को ‘आनंद’ बनकर एक हिंदू छात्रा से दुष्कर्म और उसका धर्मांतरण कराने की कोशिश के जुर्म में उम्र कैद की सजा सुनाई। उसके पिता को भी इस हरकत में शामिल होने के आरोप में दो साल कैद की सजा सुनाई गई।

बताया जा रहा है कि अदालत ने आदेश दिया कि फैसले की प्रतियां मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को भेजी जाएं। अदालत ने मामले के बारे में गंभीर टिप्पणियां कीं। उसने कहा कि यह ‘लव जिहाद’ के माध्यम से अवैध धर्मांतरण का मामला है। न्यायाधीश रवि कुमार दिवाकर ने कहा कि मनोवैज्ञानिक दबाव, शादी और नौकरी जैसे प्रलोभन देकर धर्मांतरण कराया जा रहा है। इस मामले में संभावित विदेशी फंडिंग की आशंका जताते हुए अदालत ने कहा कि अगर इस मुद्दे को समय रहते हल नहीं किया गया तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।

 

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