अरब देश तेजी से बदल रहे हैं और इस बदलाव के नायक हैं वहां के युवा। 18 अरब देशों के 53 शहरों में 18 से 24 साल के युवाओं पर किए गए एक सर्वे के अनुसार वहां के लोग अब सिर्फ मुस्लिम देशों के बजाए गैर मुस्लिम देशों जैसे चीन, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस और भारत को अपने सहयोगी देश के रूप में ज्यादा देखते हैं। इसमें भी सबसे उल्लेखनीय बदलाव ये है कि अरब देशों के युवा भारत को पाकिस्तान से ज्यादा मित्र देश मानते हैं। भारत को जहां 73 फीसदी युवा मित्र देश की तरह देखते हैं वहीं पाकिस्तान को मित्र देश मानने वाले युवाओं की संख्या सिर्फ 69 फीसदी थी। साथ ही चीन की लोकप्रियता में भी यहां तेजी से इजाफा हुआ है। चीन अब अरब देशों के युवाओं में अमरीका से भी ज्यादा लोकप्रिय है। ताजा सर्वे के अनुसार तुर्की अरब युवाओं में सबसे ज्यादा मित्र देश बनकर उभरा है। सर्वे के ये रुझान चौंकाने वाले हैं। गौरतलब है कि पिछले 2018 के सर्वे में अरब युवाओं की रायशुमारी में शीर्ष पांच मित्र देशों में रूस को छोड़कर सभी मुस्लिम देश शामिल थे।
ये सिर्फ चाहत की बात है। हकीकत इससे अलग है। बात करें अरब देशों में सबसे अधिक असर किस देश का है, तो इस पैमाने पर आज भी अमरीका तमाम देशों से बहुत आगे है। 33 फीसद युवा मानते हैं कि अमरीका का क्षेत्र में सबसे अधिक असर है। इसके बाद 11 फीसदी यूएई, 10 फीसदी सऊदी अरब, 10 फीसदी इजराइल, 8 प्रतिशत युवा रूस और पांच फीसदी ईरान और 4 फीसदी युवा चीन को क्षेत्र में सबसे अधिक प्रभावशाली देश मानते हैं। लेकिन गौर करने की बात ये है कि अधिकांश युवा चाहते हैं कि अमरीका को क्षेत्र में अब अपनी भूमिका सीमित करना चाहिए।
अरब युवाः तुर्की और चीन सबसे ज्यादा मित्र देश
देश मित्र राष्ट्र शत्रु राष्ट्र
तुर्की 82 12
चीन 80 1
ब्रिटेन 79 17
जर्मनी 78 19
फ्रांस 74 24
भारत 73 19
अमरीका 72 27
पाकिस्तान 69 22
रूस 63 32
ईरान 36 57
इजराइल 86 13
देश मित्र राष्ट्र शत्रु राष्ट्र
तुर्की 82 12
चीन 80 1
ब्रिटेन 79 17
जर्मनी 78 19
फ्रांस 74 24
भारत 73 19
अमरीका 72 27
पाकिस्तान 69 22
रूस 63 32
ईरान 36 57
इजराइल 86 13
दुबई स्थित जानी पीआर फर्म असदा बीसीडब्ल्यू द्वारा किए गए इस सर्वे के लिए 3600 अरब युवाओं की प्रतिक्रिया को पांच श्रेणियों में बांटा गया था। देशों को बहुत अच्छा दोस्त, कुछ हद तक दोस्त, शत्रु देश और घोर शत्रु देश में बांटा गया था। पांचवीं श्रेणी पता नहीं लोगों की थी।
सर्वे के अनुसार, मित्रता से परे अगर शत्रु देशों की बात करें तो, साफ है कि भारत भले ही अरब देशों के युवाओं में सबसे पसंदीदा देश न हो पर इसके प्रति घोर शत्रुता की भावना सबसे कम है। एक फीसदी से भी कम लोगों ने भारत को घोर शत्रु बताया। साथ ही भारत के प्रति बहुत अच्छे दोस्त की भावना भी कमोबेश कमजोर ही है। अरब युवाओं में शत्रुता की सबसे प्रखर भावना क्रमशः इजराइल, ईरान, अमरीका और रूस के प्रति देखी गई, जबकि सबसे अच्छे दोस्त की भावना भी अमरीका के प्रति ही सबसे मजबूत और इजराइल के प्रति सबसे कमजोर देखी गई।
सर्वे के अनुसार, मित्रता से परे अगर शत्रु देशों की बात करें तो, साफ है कि भारत भले ही अरब देशों के युवाओं में सबसे पसंदीदा देश न हो पर इसके प्रति घोर शत्रुता की भावना सबसे कम है। एक फीसदी से भी कम लोगों ने भारत को घोर शत्रु बताया। साथ ही भारत के प्रति बहुत अच्छे दोस्त की भावना भी कमोबेश कमजोर ही है। अरब युवाओं में शत्रुता की सबसे प्रखर भावना क्रमशः इजराइल, ईरान, अमरीका और रूस के प्रति देखी गई, जबकि सबसे अच्छे दोस्त की भावना भी अमरीका के प्रति ही सबसे मजबूत और इजराइल के प्रति सबसे कमजोर देखी गई।
अगर सिर्फ अरब देशों में से मित्र देश का चुनाव करना हो तो, अरब देशों के युवाओं की पहली पसंद है कतर। कतर को मित्र देश मानने वाले देशों की संख्या 92 फीसदी, कुवैत को 91, मिस्र को 89, यूएई को 88 और सऊदी अरब को 86 फीसदी अरब युवा मित्र देश की तरह देखते हैं।
अरब देशों में आ रहा ये बदलाव उनकी पाठ्य पुस्तकों में भी दिख रहा है। यहां वर्षों से लैंगिक भेदभाव कम करने को लेकर को ज्यादा सजगता है। यही नहीं स्थित इंस्टीट्यूट फॉर मॉनिटरिंग पीस एंड कल्चरल टॉलरेंस इन स्कूल एजुकेशन द्वारा पिछले महीने जारी की गई एक रिपोर्ट के अनुसार सऊदी अरब में हालिया पाठ्य पुस्तकों में पाया गया कि लगभग वे सभी उदाहरण जो यहूदियों और ईसाईयों को नकारात्मक तरीके से चित्रित करते हैं, उनको से नवीनतम सऊदी पाठ्यपुस्तकों से हटा दिया गया था।