दिवाली के मौके पर राम की नगरी अयोध्या के सरयू तट पर सातवें दीपोत्सव के साथ नया कीर्तिमान रचा गया। बीते साल पंद्रह लाख पच्छतर हजार की बजाए इस बार बाइस लाख तेइस हजार दीप प्रज्जवलित कर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में इसे दर्ज किया।

इस विशाल आयोजन में राम की पैड़ी के 51 घाट भव्य रूप से पच्चीस हजार स्वयं सेवकों ने दिन-रात मेहनत की। उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस अद्भुत उपलब्धि पर खुशी जताई। 2017 में पहली बार इसका आयोजन एक लाख 87 हजार दीपक जलाकर किया गया था। देश के 21 प्रदेशों व चार देशों के 2500 कलाकारों ने यहां रामकथा का मंचन किया। राम की जन्मस्थली के प्रति आस्थावान लोगों का आवागमन तेजी से बढ़ा है।

जन्मभूमि, रामपथ, भक्तिपथ के नवनिर्माण के साथ श्रद्धालुओं के लिए यह आस्था का नया केंद्र बनता जा रहा है। साथ ही विदेशी पर्यटकों को भी खूब आकृष्ट कर रहा है। बता रहे हैं इसी वर्ष के शुरुआती दस महीनों के दौरान हजार के करीब विदेशी यहां पहुंचे। हजारों साल पुरानी नगरी अयोध्या मथुरा, माया (हरिद्वार), काशी, कांची, अवंतिका (उज्जयिनी) व द्वारका में शामिल है। जैन मत के अनुसार यहां आदिनाथ सहित पांच तीर्थकरों का जन्म हुआ।

बौद्ध मान्यताएं हैं कि बुद्धदेव ने अयोध्या व साकेत में सोलह साल निवास किया। वाल्मीकि रामायण में आयोध्यापुरी का विस्तार से वर्णन है। कुछ समय पहले तक यह प्राचीन नगरी लगभग उपेक्षित थी। मगर सरकार के निरंतर प्रयासों, प्रचार और राम जन्म भूमि के भव्य निर्माण ने इसका आकषर्ण बढ़ाया है। वानप्रस्थ के उपरान्त तीर्थ-यात्रा करने की बजाए अब श्रद्धालु साल भर परिवार समेत ईर की शरण में जाते हैं।

व्यवस्थाओं, सुविधाओं व साधनों के सुधरने से आवा-जाही बेहद आसान हो चुकी है तथा आम मध्यवर्गीय परिवार अब पहले के बनिस्पत घूमने पर मोटी राशि खर्चने में संकोच नहीं करते। पर्यटकों से होने वाली आमदनी केवल सरकारी खजाने की ही वृद्धि नहीं करती; इससे स्थानीय लोगों को भी रोजगार मिलते हैं। बावजूद इसके राम के नाम पर आमजन को लुभाने वाले राजनीतिक दल की मंशा मात्र अपने वोट बैंक पर टिकी है। बहरहाल, हमें अपनी बहुमूल्य धरोहरों को लेकर संवेदनशील व सतर्क रहना सीखना होगा, वे धर्म से जुड़ी हों या संस्कृति से।

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