राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने चुनावी बॉण्ड विवरण का खुलासा करने की अवधि बढ़ाने का अनुरोध करने के लिए भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) द्वारा बताए गए कारणों को ‘‘बचकाना” करार देते हुए रविवार को कहा कि अपनी गरिमा की रक्षा करना उच्चतम न्यायालय की जिम्मेदारी है और जब संविधान पीठ फैसला सुना चुकी है तो एसबीआई की याचिका को स्वीकार करना ‘‘आसान नहीं होगा”।

चुनावी बॉण्ड योजना के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में मामले में याचिकाकर्ताओं के लिए दलीलें सिब्बल के नेतृत्व में पेश की गईं। उन्होंने कहा कि एसबीआई का दावा है कि डेटा को सार्वजनिक करने में कई सप्ताह लगेंगे, जिससे ऐसा लगता है कि ‘‘कोई किसी को बचाना चाहता है।” सिब्बल ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए वीडियो साक्षात्कार में कहा कि यह स्पष्ट है कि एसबीआई का इरादा सरकार का बचाव करना है, अन्यथा बैंक ने चुनावी बॉण्ड विवरण का खुलासा करने की अवधि 30 जून तक बढ़ाए जाने का ऐसे समय में अनुरोध नहीं किया होता जब अप्रैल-मई में चुनाव होने हैं।

वरिष्ठ अधिवक्ता की ये टिप्पणियां महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ये ऐसे समय में की गई हैं जब एसबीआई के अनुरोध पर उच्चतम न्यायालय की पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ सुनवाई करने वाली है। एसबीआई ने चुनावी बॉण्ड योजना को पिछले महीने रद्द किए जाने से पहले राजनीतिक दलों द्वारा भुनाए गए प्रत्येक बॉण्ड के विवरण का खुलासा करने के लिए दिए गए समय को बढ़ाए जाने का अनुरोध किया है।

 

 

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