माफिया अतीक अहमद को मंगलवार को उम्रकैद की सजा सुनाने वाले जज की सुरक्षा बुधवार को बढ़ा दी गई। सजा सुनाने वाले जज दिनेश चंद्र शुक्ला को अब वाई कैटिगरी की सुरक्षा दी गई है। शासन की ओर से स्वतः संज्ञान लेते हुए सुरक्षा बढ़ाने का फैसला किया गया है। इससे पहले मंगलवार तक जज को पुलिस की सुरक्षा मिली हुई थी।
2009 बैच के जुडिशरी सर्विस के अधिकारी जस्टिस दिनेश चंद्र शुक्ला रायबरेली के रहने वाले हैं। न्यायिक सेवा में आने के बाद उन्होंने भदोही से जुडिशल मैजिस्ट्रेट के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी। इसके बाद साल 2011 में वह प्रयागराज में एडिशनल सिविल जज बने थे।
अतीक अहमद पर उमेश पाल के अपहरण का केस 17 साल से चल रहा था। उमेश की पिछले महीने सनसनीखेज हत्या के बाद मामला चर्चा में आ गया। राजू पाल हत्याकांड़ में उमेश पाल मुख्य गवाह था। राजू पाल की हत्या में भी अतीक और उसके भाई अशरफ समेत कई लोगों के खिलाफ केस चल रहा है। राजू पाल हत्याकांड में गवाही नहीं देने के लिए ही उमेश पाल का अपहरण किया गया था। इसके बाद भी उमेश डरा नहीं और लगातार अतीक अहमद के खिलाफ गवाही देता रहा।
इसी बीच 24 फरवरी को प्रयागराज के घूमनगंज में घर के बाहर ही पेशी से लौटते समय उमेश की गोली और बम मारकर हत्या कर दी गई। सीसीटीवी फुटेज में साफ दिखाई दिया कि अतीक के गुर्गों और बेटे ने ही मिलकर उमेश की हत्या की है। इसके बाद अतीक के साथ ही उसकी पत्नी शाइस्ता, भाई अशरफ, बेटा असद समेत अन्य लोगों को नामजद करते हुए केस दर्ज किया गया।
उमेश पाल की हत्या का रोष भी मंगलवार को अतीक अहमद की पेशी के दौरान नजर आया। लोगों ने फांसी देने की मांग करते हुए नारेबाजी की। अतीक अहमद को गुजरात की साबरमती जेल से प्रयागराज की नैनी जेल लाया गया और वहां से एमपीएमएलए अदालत में पेश किया गया। जहां से उम्रकैद की सजा सुनाए जाने के बाद वापस साबरमती जेल रवाना कर दिया गया।