अतीक-अशरफ की हत्या के बाद से पुलिस की उलझनें बढ़ गई हैं। क्योंकि आरोपी लवलेश तिवारी, मोहित उर्फ सनी और अरुण मौर्य शुरू से ही क्रिमिनल बैकग्राउंड के थे, लेकिन इस वारदात को अंजाम देने के लिए तीनों का एक-दूसरे से मिलना और इस साजिश को सिरे तक पहुंचाना पुलिस के लिए पहेली बना हुआ है।
इसके अलावा घटना को अंजाम देने का तरीका भी चौकाने वाला है। यही वजह है कि पुलिस को शक है कि ये वारदात सिर्फ इन तीनों के दिमाग की उपज नहीं, बल्कि इसके पीछे कोई गहरी साजिश जरूर है। इस शूटआउट को लेकर वो कौन सी पहेलियां हैं, जिसका पता पुलिस को लगाना है?
बताया जा रहा है कि लवलेश और सनी का पुराना क्रिमिनल रिकॉर्ड रहा है। दोनों पहले भी जेल के चककर लगा चुके हैं। साल 2021 में जब दोनों अलग-अलग केस के सिलसिले में बांदा जेल में बंद थे, तभी जेल में ही दोनों की एक-दूसरे से मुलाकात हुई और दोनों दोस्त बन गए थे।
लवलेश तिवारी के घरवालों का कहना है कि लवलेश ना सिर्फ एक नशेड़ी है, बल्कि वो मारपीट और एक लड़की से छेड़छाड़ के मामले में भी जेल जा चुका है। वहीं हमीरपुर के कुरारा गांव का रहने वाला मोहित उर्फ सनी जुर्म के मामले में लवलेश से भी कहीं आगे है। वो पिछले 10 साल से घरवालों से अलग रह रहा है।
उसके करीबी बताते हैं कि जब वो कम उम्र का था, तभी वो मारपीट के एक मामले में हमीरपुर जेल गया था। एक साल बाद जब वो बाहर आया तो बदल चुका था। वो पूरी तरह से क्रिमिनल माइंडेड हो चुका था। इसके बाद वो बांदा जेल में बंद हुआ। जहां उसकी मुलाकात लवलेश से हुई।
ये माना जा रहा है कि लवलेश और सनी की बांदा जेल में मुलाकात हुई थी और वहीं से दोनों साथ हो लिए। लेकिन सवाल ये है कि इसके बाद उनकी मुलाकात अरुण मौर्य से कैसे हुई? कासगंज का रहनेवाला अरुण मौर्य बहुत ही शांत स्वभाव किस्म वाला लड़का है। वो जब गांव में रहता था, तब भी उसके दोस्त बहुत कम थे।
वो लोगों से कम ही बातचीत करता था, लेकिन अब से तीन साल पहले वो गांव छोड़कर पानीपत चला गया था।
जहां उसके दादा जी रहते थे। करीब 6 महीने पहले वो एक बार घर आया था, लेकिन इसके बाद उसे गांव वालों ने दोबारा कभी ने देखा। पुलिस को जांच में पता चला है कि वारदात को अंजाम देने से पहले वो प्रयागराज के ही एक होटल में काम करता था।
जहां उसके दादा जी रहते थे। करीब 6 महीने पहले वो एक बार घर आया था, लेकिन इसके बाद उसे गांव वालों ने दोबारा कभी ने देखा। पुलिस को जांच में पता चला है कि वारदात को अंजाम देने से पहले वो प्रयागराज के ही एक होटल में काम करता था।
वहीं, लवलेश और सनी ने उसकी मुलाकात हुई थी। लेकिन दोनों को अरुण से किसने मिलवाया और कैसे तीनों अतीक-अशरफ के कत्ल के लिए तैयार कैसे हुए, ये एक बड़ा सवाल है? फिलहाल पुलिस जांच में ये साफ हो गया है कि तीनों हमलावरों में से दो ने तुर्की में बनी 9 एमएम जिगाना पिस्टल का इस्तेमाल किया था। ये पिस्टल ना सिर्फ भारत में प्रतिबंधित है, बल्कि एक जिगाना पिस्टल की कीमत 6 से 7 लाख रुपए है।
पुलिस रिपोर्ट से यह भी क्लियर हो गया है कि तीनो लड़के गरीब घरों से ताल्लुक रखते हैं। ऐसे में इन तीनों के पास इतने महंगे और अत्याधुनिक हथियार कहां से आए? पुलिस को आशंका है कि ये वारदात सिर्फ इन तीनों के दिमाग की उपज नहीं, बल्कि इसके पीछे और भी लोगों का हाथ है?
पुलिस रिपोर्ट के अनुसार इस वारदात को अंजाम देने से पहले तीनों ने दिल्ली-एनसीआर में कुछ दिन रुका हुआ था। बताया जा रहा ही तीनों दिल्ली में एक-दूसरे से मिले थे। सवाल ये है कि कहां और क्यों? क्या दिल्ली में इनकी किसी ऐसे हैंडलर से मुलाकात हुई, जिसके इशारे पर तीनों ने इतनी बड़ी वारदात को अंजाम दिया?
ऐसे में पुलिस अब तीनों के दिल्ली कनेक्शन का पता लगाने की कोशिश कर रही है। टेक्निकल सर्विलांस की मदद से वो ये जानना चाहती है कि आखिर ये तीनों दिल्ली-एनसीआर में कहां रहे और किससे मिले? पूछताछ में सनी ने बताया कि उसने पिछले दिनों गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई का इंटरव्यू देखा था और उसके बाद से वो लॉरेंस की तरह बनना चाहता था।
यहां खास बात ये भी है कि लॉरेंस और उसकी गैंग के शूटर जिगाना पिस्टल का खुलकर इस्तेमाल करते रहे हैं। यहां तक कि पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला के कत्ल में भी इसी पिस्टल का इस्तेमाल किया गया था। अतीक और अशरफ के कत्ल में भी जिगाना पिस्टल का ही यूज किया गया।
ऐसे में शक पैदा होता है कि कहीं ये तीनों आरोपी भी कहीं लॉरेंस या उसके गैंग के संपर्क में तो नहीं थे? खबरों के अनुसार हमीरपुर जेल में रहने के दौरान उसकी मुलाकात पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गैंगस्टर सुंदर भाटी से हुई थी। अब शक ये भी जताया जा रहा है कि कहीं दोनों भाईयों को शूटआउट में इन बड़े गैंगस्टर्स का कोई रोल तो नहीं है?