यूपी के सरकारी विद्यालयों में तैनात शिक्षकों के लिए अनिवार्य डिजिटल उपस्थिति का मामला काफी गरम चल रहा है। 11 अप्रैल को कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा। जिसमें उन्होंने विभागीय अधिकारियों पर आरोप लगाया कि उपरोक्त व्यवस्था से शिक्षकों का शोषण किया जा रहा है। इसके अलावा उन्होंने विद्यालयों में मूलभूत सुविधाओं को लेकर भी सीएम का ध्यान आकर्षित किया है।
माननीय मुख्यमंत्री जी शिक्षकों की अनिवार्य डिजिटल आनलाइन उपस्थिति दर्ज करने के आदेश से आप परिचित होंगे। इस आदेश का पालन न कर सकने वाले शिक्षकों और विद्यालय कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई के मामले पूरे प्रदेश में देखने को मिल रहे हैं। इस संबंध में बेशिक शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव जारी एक बयान में सूचित किया गया है कि किसी भी कारण से 10-15 मिनट देर से आने वाले शिक्षक पर कार्रवाई नहीं की जाएगी। सरकार का उद्देश्य स्कूली व्यवस्थाओं को स्ट्रीम लाइन करना है, किंतु ऐसा प्रतीत हो रहा है कि आपके प्रशासन ने आपको अंधेरे में रखकर प्रदेश के शिक्षकों के सभी वर्गों को आंदोलित कर दिया है। जिसे लेकर पूरे प्रदेश में शिक्षक संघो ने आंदोलन का ऐलान किया है।
अजय राय ने पत्र में लिखा है कि हमारा मत है कि इस संवेदनशील विषय पर शिक्षक समुदाय का सहयोग प्राप्त करना आवश्यक था। सरकार को प्रदेश के स्कूलों और उसमें तैनात शिक्षकों की मूलभूत समस्याओं के निराकरण की व्यवस्थ कर लेनी चाहिए थी।
विद्यार्थी टूटे भवन, टूटी कुर्सियों मेजों पर बैठने के लिए मजबूर हैं। अध्यापकों के लिए समय पर पदोन्नति और वेतनमान लागू नहीं किए जाते हैं। इसके अलावा उन्होंने और कई बिंदुओं का जिक्र किया है।
अंत में अजय राय ने लिखा है कि चेहरे के सत्यापन के साथ आनलाइन उपस्थिति का विरोध होना स्वाभाविक है। आपके प्रशासन से अपेक्षा है कि सबसे पहले प्रदेश के सभी विद्यालयों में मूलभूत सुविधाओं की व्यवस्थाए कराई जाएगी। साथ ही यदि सरकार अपने प्रशासन में आनलाइन उपस्थिति का पालन कराना चाहती है तो एक साथ पूरे प्रदेश के सभी सरकारी कार्यालयों में आनलाइन उपस्थिति का विकल्प लागू करे। केवल शिक्षकों के लिए यह व्यवस्था प्रदेश के शिक्षा व्यवस्था के लिए घातक होगा।