टैल्कम पाउडर के बारे में चल रही बहस के बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन की कैंसर एजेंसी ‘इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर’ (आईएआरसी) ने इसे कैंसरकारी के रूप में वर्गीकृत किया है। फोर्टिस हीरानंदानी अस्पताल वाशी में कंसल्टेंट-मेडिकल ऑन्कोलॉजी डॉ. सलिल पाटकर ने रविवार को कहा, “टैल्कम पाउडर का उपयोग व्यापक स्तर पर किया जाता है और बहुत से लोग इससे जुड़े संभावित खतरों से अनजान हैं।”

पाटकर ने आईएएनएस को बताया, “हालांकि, सबूत अभी तक निर्णायक नहीं हैं, लेकिन, सार्वजनिक स्वास्थ्य की बात करें तो सावधानी बरतना जरूरी है।” उन्होंने कहा, “टैल्कम पाउडर से ओवेरियन कैंसर का खतरा हो सकता है। इसमें टैल्क के कण प्रजनन प्रणाली से होकर अंडाशय में सूजन और क्षति का कारण बन सकते हैं। यह सूजन कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकती है।”

कैंसर एजेंसी ने टैल्कम पाउडर से होने वाले कैंसर (ओवेरियन कैंसर) के बारे में पता लगाने का प्रयास किया। एजेंसी ने इसे मनुष्‍यों के लिए कैंसरकारी बताया है।

कई रिसर्च में यह बात सामने आई है कि पेरिनेल क्षेत्र में बॉडी पाउडर के उपयोग से मनुष्यों में ओवेरियन कैंसर के मामलों में वृद्धि दर्ज की गई है।

इसमें कहा गया है कि पल्प और पेपर उद्योग में टैल्क के संपर्क में आने वाली महिलाओं के व्यावसायिक जोखिम को देखते हुए किए गए शोध में ओवेरियन कैंसर की दर में वृद्धि देखने को मिली।पाटकर ने साफ तौर पर कहा कि व्यक्तियों, विशेष रूप से महिलाओं को टैल्कम पाउडर के उपयोग से जुड़े संभावित जोखिमों के बारे में जागरूक होने की जरुरत है।

उन्होंने कहा, “लोगों को टैल्कम पाउडर की बजाय कॉर्नस्टार्च-आधारित पाउडर जैसे वैकल्पिक उत्पादों को इस्‍तेमाल करना चहिए। इसके साथ ही इन उत्‍पादों को बनाने वालों को उपभोक्ताओं को इसके बारे में जानकारी देने के साथ इसके सुरक्षित विकल्प देने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।”

उन्होंने लोगों को सुझाव देते हुए कहा कि इस शोध के आधार पर टैल्कम पाउडर के उपयोग से जुड़े संभावित जोखिमों पर विचार करना आवश्यक है।

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