जन जन के आराध्य ठाकुर श्री बांके बिहारी जी के प्राकट्यकर्ता स्वामी हरिदास जी महाराज के अवतरण दिवस पर, कान्हा की नगरी में आयोजित दो दिवसीय स्वामी हरिदास संगीत और नृत्य महोत्सव में सुर संगीत की अद्भुत सरिता प्रवाहित हुई है। जिसमें रसिक श्रोताओं ने देश के नामीगिरामी संगीतज्ञो की बेहतरीन कला का जमकर लुत्फ उठाया। महोत्सव में धार्मिक,सामाजिक और राजनीतिक जगत की हस्तियों ने स्वामी हरिदास को भावांजलि अर्पित की। तीर्थनगरी के वन महाराज कालेज के हरितिमा युक्त वातावरण में सजे विशाल पांडाल में देश के ख्यातिलब्ध फनकारों ने अपनी कला से स्वामी जी को भावांजलि अर्पित की।

प्रथम दिवस का विधिवत शुभारंभ वेदपाठी विप्रो द्वारा उच्चरित वैदिक मंत्रोचार के साथ ब्रज के प्रमुख संत गुरुशरणानंद महाराज और संत राधाचरण दास ने दीप प्रज्वलन कर किया। उनके साथ भाजपा के राष्ट्रीय सचिव अरविंद मेनन और भाजपा के राष्ट्रीय सह कोषाध्यक्ष सांसद नरेश चंद्र बंसल ने भी पुष्पांजलि अर्पित की। सांस्कृतिक संध्या की शुरुआत प्रसिद्ध सिने तारिका प्राची शाह पंड्या के एकल कत्थक नृत्य से हुई। अभिनेत्री प्राची शाह ने भगवान राधा कृष्ण की लीला पर आधारित ठुमरी के साथ कथक नृत्य से शुरुआत की । समाज राग में यह प्रस्तुति सुन संगीत प्रेमी भाव विभोर हो गए। राधा रानी का बिरह भाव देखने को मिला। जिसमें राधारानी कहती है कि श्याम मुझे छोड़कर कहां चले गए। इसके बाद अभिनेत्री ने तीन ताल विलय एवं द्रुत में नृत्य की मनोहारी प्रस्तुति दी। अभिनेत्री के साथ तबला पर यशवंत वैष्णव, पखावज पर मृणाल, सारंगी पर फारुख लतीफ खान, संगीता लहेरिया ने  संगत दी। घुंघरुओं की झंकार के साथ तबले की थाप की संगत ने पूरे पंडाल को गुंजायमान कर दिया।इसके बाद प्रख्यात शास्त्रीय संगीत गायिका सुनंदा शर्मा ने अपने साथी कलाकारों के साथ जैसे ही मंच संभाला।

तालियों की गड़गड़ाहट से पंडाल गूंज उठा। श्री मति सुनंदा शर्मा ने अपने गायन की शुरुआत राग यमन से की।जिसमें भगवान कृष्ण की बाललीला पर आधारित सखी कैसे जाऊं, मग रोके कान्हा प्रस्तुत किया।  उसके बाद कजरी में घिर आई कारी बदरिया,राधा बिन लागे नही जिया को सुनकर श्रोता मंत्रमुग्ध हो गए। इसके बाद मंच संभाला पद्मश्री विजय घाटे ने, उन्होंने महाराष्ट्र में भगवान विट्ठल की संकीर्तन शैली पर आधारित ताल डिंडी का प्रस्तुतिकरण किया। श्री घाटे की  तबले पर थिरकती अंगुलियों  थाप के साथ  कथक नृत्यांगना शीतल कोरवरकर के घुंघरुओं की झंकार की जुगलबंदी का श्रोताओं ने जमकर लुत्फ उठाया। उनके साथ गायन में सुरंजन खंडलकर, गंधार देशपांडे,पखावज पर ओमकार दलवी,हारमोनियम पर अभिषेक शंकर और मंजीरे पर सुधाकर ने संगत की।

दूसरे दिन संत सियाराम बाबा और संत राधाचरण दास ने दीप प्रज्ज्वलित कर शुभारंभ किया। सहारा न्यूज नेटवर्क के ग्रुप एडिटर रमेश अवस्थी, धर्म प्रचारक शिवाकांत महाराज,केंद्रीय मंत्री प्रोफेसर एस पी सिंह बघेल ने स्वामी जी के चित्रपट पर पुष्पांजलि अर्पित की।

विधिवत शुभारंभ के सांस्कृतिक संध्या की शुरुआत प्रसिद्ध सूफी गायिका कविता सेठ द्वारा श्री कृष्ण वन्दना से हुआ। शुद्ध सूफियाना अंदाज में उन्होंने भगवान कृष्ण की आराधना अपने सुमधुर कंठ से की तो श्रोता तालियां बजाने पर मजबूर हो गए। बेहतरीन गायकी का यह सिलसिला लगभग दो घंटे तक जारी रहा। जिसमें सैकड़ों सुधी श्रोता सुधबुध होकर आनंद लेते दिखाई दिए। उनके साथ बांसुरी पर अतुल शंकर, गिटार पर आशीष डे,तबले पर आशीष विश्वास,की बोर्ड पर सचिन धूमल, संतूर पर मंगेश जगताप और विशाल कुमार ने संगत की। दो दिवसीय महोत्सव का समापन विराट कवि सम्मेलन से हुआ। जिसमें नामचीन काव्यकारों ने अपनी अनूठी रचनाओं से श्रोताओं की जमकर तालियां बटोरी। कवि सम्मेलन में वीर रस के कवि मनवीर मधुर ने जहां श्रोताओं में राष्ट्रवाद के जोश का संचार किया।वहीं कवियत्री मार्णिका दुबे ने प्रेम रस की रचनाओं का पाठ किया, व्यंगकार गौरव शर्मा ,दिनेश बाबरा ने अपनी रचनाओं से खूब गुदगदाया। अंत में वरिष्ठ कवि जगदीश सोलंकी ने काव्य पाठ किया।

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