मुजफ्फरनगर। इस बार मां दुर्गा का आगमन नाव यानी नौका पर हो रहा है। यह भी एक प्रकार से शुभ संकेत है। वैसे तो माँ दुर्गा सिंह की सवारी करती है, लेकिन नवरात्र के पावन दिनों में धरती पर आते समय उनकी सवारी बदल जाती है। माँ जगदंबे की सवारी नवरात्र के प्रारम्भ होने वाले दिन पर निर्भर करती है। नवरात्र का प्रारम्भ जिस दिन होता है उस दिन के आधार पर उनकी सवारी तय होती है। ठीक इसी प्रकार से वह जिस दिन विदा होती है, उस दिन के आधार पर प्रस्थान की सवारी तय होती है। इस वर्ष चैत्र नवरात्र 22 मार्च 2023 से 30 मार्च 2023 तक रहेंगे। चैत्र नवरात्र का शुभारम्भ दिन बुधवार से हो रहा हैं तो इसीलिए माता का आगमन नाव पर होगा। माँ जगदम्बे का नौका यानी नाव पर आगमन शुभ माना जाता है। नाव पर सवार होकर माता जब भी आती है तब अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती है और सभी कष्ट हर लेती है। 31 मार्च 2023 दिन शुक्रवार को दशमी तिथि है। इस दिन माता प्रस्थान करेगी। वही जब शुक्रवार को नवरात्र समाप्त होते हैं तो माँ दुर्गा की वापसी हाथी पर होती हैं जो अधिक बरसात की ओर संकेत करता है।
मुजफ्फरनगर में स्थित धार्मिक संस्थान विष्णुलोक के संचालक रत्न रुद्राक्ष विशेषज्ञ पंडित विनय शर्मा ने बताया कि 22 मार्च 2023 को कलश स्थापना प्रातः 10ः55 से 12ः26 बजे के बीच गुलीक काल में किया जाए तो अत्यंत श्रेष्ठ रहेगा क्योकि गुलीक काल प्रतिदिन वार के अनुसार निश्चित समय पर आने वाला वह शुभ मुहूर्त हैं जिसमें किए जाने वाले कार्यों के सफल होने की सर्वाधिक सम्भावना होती हैं। 22 मार्च 2023 को दोपहर 12ः26 बजे से 1ः57 बजे के बीच राहु काल होगा। राहु काल में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए द्य घटस्थापना के लिए आवश्यक सामग्रीरू- चौड़े मुँह वाला मिट्टी का एक बर्तन, पवित्र स्थान की मिट्टी, सप्तधान्य ;7 प्रकार के अनाजद्ध, कलश, जल ;संभव हो तो गंगाजलद्ध, कलावाध्मौली, सुपारी, आम या अशोक के पत्ते ;पल्लवद्ध, अक्षत ;कच्चा साबुत चावलद्ध, छिलके/जटा वाला नारियल, लाल कपड़ा। घट स्थापना करते समय “ओम अपां पतये वरुणाय नमः” मंत्र के साथ कलश पूजन होता है। घटस्थापना विधि:- पहले मिट्टी को चौड़े मुँह वाले बर्तन में रखें और उसमें सप्तधान्य बोएँ। अब उसके ऊपर कलश में जल भरें और उसके ऊपरी भाग ;गर्दनद्ध में कलावा बाँधें। आम या अशोक के पल्लव को कलश के ऊपर रखें। अब नारियल को लाल कपड़े में लपेटकर कलश के ऊपर और पल्लव के बीच में रखें। नारियल में कलावा भी लपेटा होना चाहिए। घटस्थापना पूर्ण होने के बाद देवी का आह्वान करते हैं। एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर माँ भगवती का विग्रह स्थापित करके उसकी नौ दिन तक नित्य पूजा की जाती है। माँ दुर्गा के साधक को नित्य दुर्गा सप्तशती का पाठ, दुर्गा चालीसा और दुर्गा जी का नवार्ण मंत्र “ओम ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे” इस मंत्र की स्फटिक माला से एक माला प्रतिदिन करनी चाहिए। नवरात्रि के दिनों में माँ दुर्गा नौ दिन के लिए पृथ्वी पर विचरण करती है। इन नौ दिनो में जो व्यक्ति माँ भगवती का अपने घर में आह्वान करके उनकी पूजा अर्चना करता है, उसके परिवार में सुख ऐश्वर्य का अपार भण्डार रहता हैं। नवरात्र के अन्तिम दिन कन्या पूजन का भी विधान है। कन्याओं का पूजन करके उन्हें भोजन कराना चाहिए। कन्या 3 वर्ष से 10 वर्ष तक की आयु की होनी चाहिए।

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