अतिशी की चिट्ठी पर विजेन्द्र गुप्ता का पलटवार, कहा – अनुशासनहीन आचरण की श्रेणी में की गई आवश्यक कार्रवाई
नई दिल्ली, 28 फ़रवरी (हि.स.)। दिल्ली विधानसभा के विशेष सत्र से निलंबित आम आदमी पार्टी की विधायक औऱ सदन में विपक्ष की नेता आतिशी के पत्र पर अध्यक्ष विजेन्द्र गुप्ता ने पलटवार करते हुए कार्रवाई को उचित और कानून सम्मत ठहराया है।
शुक्रवार को विजेन्द्र गुप्ता ने अपने पत्र में आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि पिछले 12 सालों तक सत्ता में काबिज रहे विपक्ष को सदन में कार्य संचालन से संबंधित नियमों और विनियमों की जानकारी नहीं है। विजेन्द्र गुप्ता ने आतिशी को लिखे पत्र का दवाब देते हुए कहा कि यदि कोई सदस्य उपराज्यपाल के सदन में उपस्थित रहते हुए उनके अभिभाषण को बाधित करता है, चाहे वह भाषण, बिंदु-विशेष उठाने, वाकआउट करने या किसी अन्य माध्यम से हो, तो इसे उपराज्यपाल के प्रति अनादर एवं सदन की अवमानना माना जाएगा, और इसे अनुशासनहीन आचरण की श्रेणी में रखकर आवश्यक कार्रवाई की जा सकती है। उन्होंने कहा कि
इस स्थापित नियम का पालन करते हुए तथा संसदीय प्रक्रियाओं के अनुरूप, एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया और बहुमत से पारित हुआ, जिसके तहत सदन के कार्य में व्यवधान डालने वाले 21 विधायकों को तीन दिनों के लिए निलंबित किया गया। यह निर्णय मनमाना नहीं था बल्कि संसदीय नियमों और पूर्व मिसालों पर आधारित था।
विजेन्द्र गुप्ता ने अपने पत्र कहा कि नियम 277, बिंदु 3 (डी) स्पष्ट रूप से कहता है,
“जो सदस्य सदन की सेवा से निलंबित किया गया है, उसे सदन के परिसर में प्रवेश करने और सदन एवं समितियों की कार्यवाही में भाग लेने से प्रतिबंधित किया जाएगा।”
अतः, यह स्पष्ट है कि जब कोई सदस्य निलंबित होता है, तो उसे इन परिसीमित क्षेत्रों में प्रवेश से वंचित किया जाता है, जो कि एक स्थापित संसदीय परंपरा है।
विधानसभा के गंभीर विषयों से ध्यान भटकाने का प्रयास का आरोप लगाते हुए विजेन्द्र गुप्ता ने पत्र में कहा कि यह दुख की बात है कि दिल्ली की जनता से जुड़े गंभीर मुद्दों, विशेष रूप से कैग रिपोर्ट्स पर चर्चा करने की बजाय, विपक्ष ने सदन में व्यवधान उत्पन्न करने का मार्ग अपनाया। ये रिपोर्ट्स उस अवधि से संबंधित हैं जब आआपा पार्टी सत्ता में थी और आपने वरिष्ठ मंत्री तथा अंततः मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया था। यदि सरकार को सौंपी गई कैग रिपोर्ट्स को अत्यधिक समय तक सार्वजनिक एवं विधायी समीक्षा से रोका जाता है, तो यह संवैधानिक व्यवस्था के विरुद्ध होगा।
विजेन्द्र गुप्ता ने विपक्ष के नेता से आग्रह किया कि वे अपने सहयोगी विधायकों को इस सदन की गरिमा बनाए रखने और सदन में रचनात्मक सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए प्रेरित करें।
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