फिल्म निर्माता शूजित सरकार भारतीय सिनेमा में अपने अनोखे दृष्टिकोण और प्रयोगात्मक फिल्मों के लिए मशहूर हैं। उन्होंने साल 2005 में अपनी डायरेक्टोरियल यात्रा की शुरुआत ‘यहां’ फिल्म से की, जिसके बाद उन्होंने ‘विक्की डोनर’, ‘पीकू’, ‘पिंक’, ‘अक्टूबर’ और ‘सरदार उधम सिंह’ जैसी बेहतरीन फिल्में बनाई। खास बात यह है कि आयुष्मान खुराना और यामी गौतम की फिल्म ‘विक्की डोनर’ को 18 अप्रैल को एक बार फिर से दर्शकों के सामने पेश किया गया है। यह फिल्म 13 साल बाद थिएटर्स में री-रिलीज हुई है, जिसके बारे में शूजित ने खुद इंस्टाग्राम पर जानकारी साझा की थी।
शूजित ने दैनिक भास्कर से बातचीत करते हुए बताया कि ‘विक्की डोनर’ उनके करियर के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर रही है। फिल्म बनाने की प्रक्रिया के दौरान, उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। जब उन्होंने इस फिल्म पर काम शुरू किया, तो उनकी पूर्व में बनी दो फिल्मों में से एक कभी रिलीज नहीं हुई, जबकि दूसरी बुरी तरह से असफल हो गई थी। ऐसे में उन्हें इस विषय पर बनी फिल्म लेकर दर्शकों के सामने आने का डर था। शूजित ने कहा, “स्पर्म डोनेशन और इनफर्टिलिटी जैसे विषय हमारे समाज में बहुत संवेदनशील हैं, और मुझे डर था कि लोग इसे गंभीरता से नहीं लेंगे।” लेकिन जब फिल्म रिलीज हुई तो उसके प्रति दर्शकों की प्रतिक्रिया ने उनके डर को गलत साबित कर दिया।
फिल्म के लिए कास्टिंग के दौरान शूजित ने बताया कि जब बड़े सितारों ने इससे मुंह मोड़ लिया, तब कास्टिंग डायरेक्टर जोगी मलंग ने उन्हें आयुष्मान खुराना का सुझाव दिया। आयुष्मान के थियेटर बैकग्राउंड और उनके सामने आने के बाद, शूजित को यह अहसास हुआ कि आयुष्मान इस विशेष विषय को निभाने के लिए एकदम सही व्यक्ति हैं। आयुष्मान ने फिल्म में साइन करने के बाद खुद एक गाना ‘पानी दा रंग’ भी पेश किया, जिसे दर्शकों ने काफी सराहा।
फिल्म में अन्नू कपूर का किरदार भी बेहद दिलचस्प है। शूजित ने अन्नू कपूर के रोल के लिए प्रेरणा एक पारसी डॉक्टर से ली, जो अपनी विशेष शैली में संवाद करते हैं। उन्होंने बताया कि अन्नू कपूर की परफॉर्मेंस ने इस किरदार को जीवंत बना दिया। हालांकि, पहले इस रोल के लिए ओम पुरी को भी संपर्क किया गया था, पर उन्होंने इस विषय पर सवाल उठाते हुए फिल्म को करने से मना कर दिया।
‘विक्की डोनर’ ने न केवल आयुष्मान और यामी के करियर को नयी दिशा दी, बल्कि इससे जुड़े हर व्यक्ति की लाइफ में एक सकारात्मक बदलाव लाया। शूजित ने साझा किया कि उन्हें आज भी प्रशंसकों से ईमेल और चिट्ठियाँ मिलती हैं, जिनमें लोग फिल्म के प्रभाव के बारे में बताते हैं। इसके अलावा, उन्होंने अपने प्रशंसकों से अपील की कि वे इस री-रिलीज को खास बनाएं और थिएटर में जाकर फिल्म देखें, क्योंकि थिएटर में देखने का अनुभव हमेशा खास होता है।
इस तरह, ‘विक्की डोनर’ ना केवल एक मनोरंजक फिल्म है, बल्कि यह समाज में महत्वाकांक्षी बदलाव लाने वाली फिल्म बन गई है। शूजित सरकार का यह सफर दर्शाता है कि सच्चे जुनून और मेहनत से किसी भी विषय पर बनी फिल्म दर्शकों के दिलों में अपनी जगह बना सकती है।