सारनाथ थानाध्यक्ष के खिलाफ उठती यह गंभीर बात, एक महिला के शोषण के मामले को लेकर है, जिसमें न्यायालय ने थानाध्यक्ष को 25 दिन तक मुकदमा दर्ज न करने के लिए नहीं केवल नोटिस जारी किया है, बल्कि स्पष्टीकरण भी मांगा है। यह मामला एक महिला द्वारा दायर की गई याचिका के आधार पर शुरू हुआ। महिला ने आरोप लगाया कि उसके पति से अलग होने के बाद उसका गाजीपुर के मुहम्मदाबाद निवासी यूपी पुलिस के सिपाही मोहम्मद यासीन से संपर्क हुआ। सिपाही ने महिला को शादी का झांसा देकर उसके साथ दुराचार किया और उसके धन का भी दुरुपयोग किया।

महिला का कहना है कि सिपाही ने उसे शादी का विश्वास दिलाने के बाद उसका मानसिक और शारीरिक शोषण किया। उसने बताया कि सिपाही ने शादी के नाम पर उसे इस्तेमाल किया और धीरे-धीरे उससे पैसे वसूल करना शुरू कर दिया। इसके अलावा, उसने उसके धर्म का परिवर्तन भी कराया और 7 मार्च 2019 को उसका नया पहचान पत्र बनवाया, जिसके बाद उन्होंने नवंबर 2019 में शादी की। यह शादी मुस्लिम रीति-रिवाजों के अनुसार सारनाथ गेस्टहाउस में हुई। महिला ने इसके सबूत भी सामने रखा है।

महिला के अनुसार, शादी के बाद सिपाही ने उससे करीब 50 लाख रुपये की रकम ली और उसके नाम पर एक मकान भी खरीद लिया, जिसे वह अपने नाम पर करवा लिया। जैसे ही महिला ने मकान अपने नाम करने की बात उठाई, सिपाही ने उसे और उसके बच्चों को जान से मारने की धमकी दी। इस स्थिति में महिला ने शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की लेकिन सारनाथ थाने के प्रभारी ने उसकी शिकायत को नजरअंदाज कर दिया, जिससे वह न्यायालय की शरण में गई।

तालाबंदी के इस मामले में न्यायालय ने सारनाथ थानाध्यक्ष को 25 दिन पूर्व मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया था, लेकिन थानाध्यक्ष ने इस आदेश का पालन नहीं किया। इसके चलते न्यायालय ने अब थानाध्यक्ष को नोटिस जारी किया है और स्पष्टीकरण मांगा है। इस आदेश के बाद पुलिस महकमे में खलबली मच गई है और इसकी गंभीरता को देखते हुए पुलिस आयुक्त को भी इस मामले की जानकारी दी गई है।

एक महत्वपूर्ण सवाल खड़ा होता है कि जब कानून की रक्षा करने वाले पुलिस अधिकारी ही अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ने लगते हैं, तो आम जन की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जा सकती है। अदालत ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और यह संकेत दिया है कि न्याय का कोई भी उल्लंघन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस मामले पर अब देखना यह है कि पुलिस महकमा और विशेषकर पुलिस आयुक्त इस मामले में क्या कार्रवाई करते हैं।

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