**सुप्रीम कोर्ट में चाइल्ड ट्रैफिकिंग पर कार्रवाई की रिपोर्ट पेश करेगा गुड़िया संस्था**
अक्टूबर के महीने में सभी राज्य चाइल्ड प्रॉस्टिट्यूशन और मानव तस्करी जैसे गंभीर मुद्दों पर अपनी कार्रवाई की रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत करेंगे। इस पर सुनवाई होने वाली है। कोर्ट ने जमानत रद्द करने के बाद इस अपील को खारिज नहीं किया है, बल्कि स्पष्ट निर्देशों के साथ सभी रिपोर्ट मांगी है। इस रिपोर्ट में उन अस्पतालों का जिक्र होगा जहां से बच्चे चोरी हुए और उन पर क्या कार्रवाई की गई। वाराणसी से संचालित गुड़िया संस्था के वकील गोपाल कृष्ण ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देशों पर जानकारी साझा की है।
गौरतलब है कि गुड़िया संस्था ने 6,000 से अधिक चाइल्ड ट्रैफिकिंग और प्रॉस्टिट्यूशन के मामलों को संभाला है। हाल के दिनों में सुप्रीम कोर्ट ने चाइल्ड ट्रैफिकिंग के मामले में गुड़िया संस्था की अपील पर सुनवाई की थी। वाराणसी के एक बच्ची मोहिनी की कहानी इस संदर्भ में महत्वपूर्ण है, जिसे 28 मार्च 2023 को चौकाघाट इलाके से जबरन उठा लिया गया था।
** वाराणसी में चाइल्ड ट्रैफिकिंग के मामले**
वाराणसी में साल 2023 में मानव तस्करी के तीन मामले सामने आए, जिसमें फुटपाथ पर सो रहे गरीबों के बच्चों को तस्करों द्वारा उठाया गया। इन सभी मामलों में पुलिस ने सक्रिय कार्रवाई की और राजस्थान से गैंग को गिरफ्तार किया। जिनमें से दो बच्चों को रिकवर किया गया जबकि एक बच्ची, मोहिनी, अभी भी लापता थी। गुड़िया संस्था के अधिवक्ता गोपाल कृष्ण ने बताया कि पकड़े गए तस्करों ने स्वीकार किया कि उन्होंने मोहिनी को राजस्थान में बेचने का प्रयास किया था, लेकिन इसके बावजूद पुलिस ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
**सुप्रीम कोर्ट में अपील और जमानत रद्द**
गुड़िया संस्था ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में अपील की, जिसमें कहा गया कि अभी भी एक बच्ची लापता है। सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाई और बच्चे की तलाश करने का आदेश दिया, जिसके परिणामस्वरूप मोहिनी को बरामद किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने सभी आरोपियों की जमानत को खारिज कर दिया और यह संकेत दिया कि जब तक सभी बच्चे रिकवर नहीं हो जाते, तब तक कोई भी जमानत नहीं दी जा सकती।
**बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा में सुप्रीम कोर्ट का आदेश**
सुप्रीम कोर्ट ने इस ऑर्डर में बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी है। अदालत ने कहा कि चाइल्ड एडॉप्शन केवल विधिक प्रक्रिया के माध्यम से ही किया जाएगा और जिन अस्पतालों से बच्चे गायब हुए हैं, उनकी मान्यता रद्द कर दी जाएगी। यह अदालत ने निर्देश दिया कि ऐसे मामलों को फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाया जाएगा और निर्णय 6 महीने के भीतर दिया जाएगा।
**गुड़िया संस्था का योगदान**
गुड़िया संस्था के संस्थापक अजीत सिंह ने बताया कि यह संस्था 1988 में स्थापित हुई थी और तब से यह सेक्स ट्रैफिकिंग और चाइल्ड ट्रैफिकिंग के मामलों में निरंतर प्रयास कर रही है। उन्होंने अब तक 6,000 से अधिक बच्चों और महिलाओं को इन गंभीर समस्यों से मुक्त कराया है। गुड़िया ने 1,000 से अधिक लोगों की जमानत भी खारिज करवाई है और कई रेड लाइट एरिया को सीज कर दिया है।
गुड़िया संस्था की यह लड़ाई न केवल मोहिनी जैसे बच्चों को न्याय दिलाने की है, बल्कि यह एक बड़े स्तर पर समाज में मानव तस्करी के खिलाफ आवाज उठाने का भी प्रयास है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस मामले पर की गई कार्रवाई यह दर्शाती है कि न्याय की प्रक्रिया और बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा को लेकर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। अगले सुनवाई की तिथि में सभी राज्य को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी, जो कि आगे की कार्रवाई के लिए महत्वपूर्ण होगी।