दिल्ली के दो बड़े अस्पतालों ने एक कैंसर मरीज को अलग-अलग तिथियों पर मृत्यु प्रमाणपत्र जारी किया, जिसमें 6 महीने का अंतर था। यह मामला तब और गंभीर हुआ जब मरीज की मृत्यु के 20 दिन बाद उसके नाम पर दो बीमा पॉलिसियां ली गईं। इस तरह की धोखाधड़ी से जुड़ा यह मामला उत्तर प्रदेश की संभल पुलिस द्वारा पकड़े गए एक फर्जी बीमा पॉलिसी वाले गैंग के खुलासे के तहत सामने आया है। पुलिस ने इस केस में अब तक लगभग 25 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इस गैंग के सदस्य उत्तर प्रदेश के साथ-साथ अन्य राज्यों, जैसे उत्तराखंड, हरियाणा, झारखंड, दिल्ली, और अन्य जगहों पर भी सक्रिय रहे हैं। दैनिक भास्कर की रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे कुछ लोग मौत से पहले ही बीमा पॉलिसी का एक जाल बुनते हैं और बाद में उससे पैसे ऐंठ लेते हैं।

दिल्ली के शक्ति नगर में रहने वाले त्रिलोक कुमार कैंसर के मरीज थे। उन्होंने 15 जून, 2024 को दिल्ली के राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट में भर्ती कराया गया था, जहां 19 जून को उनकी मृत्यु हो गई। उनके पारिवारिक सदस्यों ने निगम बोध घाट पर अंतिम संस्कार किया, जिसके पास मृत्यु का कारण कैंसर के रूप में लिखित में मौजूद था। त्रिलोक की पत्नी सुनीता ने बताया कि मृत्यु के बाद कुछ लोग उनके घर आए और सरकारी मदद दिलवाने का आश्वासन दिया, जिसके बाद त्रिलोक के नाम पर 2 फर्जी बीमा पॉलिसियां बनवाई गईं। जहां एक पॉलिसी का बीमा राशि 20.48 लाख थी, वहीं दूसरी पॉलिसी भी बनाई गई थी जिसमें त्रिलोक को जिंदा दिखाकर अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। इस तरह के दस्तावेजों के आधार पर जालसाजों ने त्रिलोक की पॉलिसी का दावा कर दिया था।

इस मामले में पुलिस ने गहनता से जांच की और पाया कि त्रिलोक की मौत के बाद भी दो बार उसकी जिंदगी में दस्तावेज तैयार किए गए। जांच अधिकारी अनुकृति शर्मा ने बताया कि उनकी पुलिस टीम अस्पताल से संबंधित सभी दस्तावेजों की सच्चाई की पुष्टि कर रही है, जिसमें यह जानने की कोशिश की जा रही है कि त्रिलोक को दिसंबर में कैसे भर्ती किया गया। पुलिस की जांच में यह भी स्पष्ट हुआ है कि अस्पताल के कुछ कर्मी इस धोखाधड़ी में शामिल हो सकते हैं।

एक और मामला सामने आया है जिसमें गाजियाबाद के सौराज की मृत्यु के बाद फर्जी बीमा पॉलिसी बनाई गई। उसकी मौत के बाद उसकी फर्जी बीमा पॉलिसी का दुरुपयोग कर उसके परिवार से पैसे निकालने का प्रयास किया गया। कुल मिलाकर देखा जाए तो यह सभी मामले इस बात का संकेत देते हैं कि कैसे कुछ गिरोह बीमा कंपनियों के नियमों का पूरी तरह से उल्लंघन कर रहे हैं और निर्दोष परिवारों को धोखा देकर वित्तीय लाभ प्राप्त कर रहे हैं। संभल पुलिस द्वारा इस गैंग का पर्दाफाश एक महत्वपूर्ण कदम है और इसके चलते इन संगठनों के खिलाफ ढेर सारे सबूत एकत्र किए जा रहे हैं।

पुलिस की टीम ने इस गैंग के सदस्यों को पकड़ने के लिए गंभीरता से जांच शुरू कर दी है। यह मामला न केवल बीमा कंपनी को नुकसान पहुंचा रहा है बल्कि इससे प्रभावित परिवारों की जिंदगी पर भी गहरा असर पड़ा है। इन घटनाओं से यह स्पष्ट होता है कि समाज में कितना बड़ा नेटवर्क सक्रिय है, जो सरकारी और निजी संस्थानों के साथ मिलकर इस प्रकार के धोखाधड़ी के कार्य कर रहा है। अब आगे की कार्रवाई में इन आरोपियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्यवाही की जाएगी और इससे जुड़े सभी तथ्यों का उजागर करना जरूरी होगा।

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