उत्तर प्रदेश में बिजली सप्लाई की स्थिति एक गंभीर समस्या बनती जा रही है। वर्तमान में नगालैंड के बाद यूपी ऐसा राज्य है जहां बिजली की आपूर्ति बेहद कम है। गर्मियों के दौरान विशेष रूप से, इस वर्ष बिजली की मांग 33 हजार मेगावाट तक पहुंचने का अनुमान है। लेकिन, प्रदेश में इस मांग को पूरा करने के लिए आवश्यक नेटवर्क की कमी है, जिसके चलते गर्मियों में शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में बिजली कटौती के लिए तैयार रहना होगा। ग्रामीण क्षेत्रों में, मई से सितंबर के बीच बिजली की उपलब्धता केवल 12 से 15 घंटे प्रति दिन रहने की उम्मीद है।

प्रदेश में कुल 3.45 करोड़ बिजली उपभोक्ता हैं, जिनमें से 1.5 करोड़ ग्रामीण क्षेत्र के हैं। पिछले कुछ समय से बिजली कटौती एक बड़ा मुद्दा बनकर उभरा है। पिछले वर्ष विधानसभा सत्र के दौरान भाजपा और सपा के बीच बिजली कटौती को लेकर बहस हो चुकी है, जिसमें सपा ने बड़ी हंगामा किया था, लेकिन इसका प्रभाव ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति में सुधार लाने में नहीं हुआ है। औसतन 1081 ट्रांसफार्मर रोज जलते हैं, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की रोजाना 7 से 8 घंटे कटौती होती है। हाल ही में राज्यसभा में पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक, ग्रामीण क्षेत्रों में औसतन 18 घंटे बिजली उपलब्ध होती है, लेकिन गर्मियों में यह घटकर 10 से 12 घंटे तक पहुंच जाती है।

बिजली की इस मांग में वृद्धि का मुख्य कारण गर्मियों में तापमान में वृद्धि है, जो 45-46 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। इस दौरान लोगों को तापमान राहत के लिए एयर कंडीशनर, कूलर और पंखों का उपयोग करना होता है। इसी समय, कृषि के लिए भी बिजली की आवश्यकता बढ़ जाती है, खासकर धान की रोपाई और सिंचाई के दौरान। लेकिन इस सबके बावजूद, प्रदेश में बिजली ट्रांसमिशन नेटवर्क की कमी के चलते आवश्यक सप्लाई नहीं हो पा रही है। यूपी पावर ट्रांसमिशन कंपनी ने विभिन्न क्षमताओं के 132 केवी से लेकर 765 केवी के सब-स्टेशन बनाए हैं, लेकिन अभी भी ये पर्याप्त नहीं हैं।

उत्तर प्रदेश ऊर्जा विभाग विभिन्न उपायों के माध्यम से बिजली की मांग को पूरा करने का प्रयास कर रहा है, जैसे कि बिजली की बैंकिंग, पावर एक्सचेंज इत्यादि। हालांकि, यह राज्य में बिजली की कीमतों को काफी बढ़ाते हैं। पिछले साल बिजली विभाग ने 12 रुपए प्रति यूनिट तक बिजली खरीदी थी, जिसका बोझ अंत में उपभोक्ताओं पर ही पड़ता है।

आगामी दो वर्षों में बिजली कटौती से पूरी तरह निजात मिलने की उम्मीद नहीं है क्योंकि 2027 तक कोई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट तैयार नहीं होंगे, जो आवश्यकता को पूरा कर सकें। पिछली समीक्षा बैठकों में, प्रदेश के ऊर्जा विभाग ने आगामी गर्मियों के लिए तैयारी के निर्देश दिए हैं, ताकि बिजली आपूर्ति में सुधार लाया जा सके। इस संकट के बीच, बिजली उपभोक्ताओं को कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है, और इसलिए उन्हें कटौती के लिए मानसिक रूप से तैयार रहना चाहिए।

आशा की जा सकती है कि आने वाले वर्षों में योजना के अनुसार यदि नए थर्मल प्रोजेक्ट स्थापित होते हैं, तो स्थिति में सुधार होगा। लखनऊ मंडल के अधीन विभिन्न जिलों में भी सुधार की प्रक्रियाएं चल रही हैं।

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