उत्तर प्रदेश पुलिस विभाग में हाल ही में एक चिंताजनक स्थिति उभरकर सामने आई है, जहां सात सीनियर पुलिस अफसरों के पास कोई जिम्मेदारी नहीं है। इनमें उच्च रैंक के अधिकारी, जैसे कि डीजी, आईजी और डीआईजी भी शामिल हैं। ऐसे में तीन अधिकारी वेटिंग में हैं, जबकि चार अधिकारी अटैच हैं। इस समूह में एक सीनियर आईपीएस दंपती भी शामिल है, जो काफी समय से कोई नियमित कार्य नहीं कर रहे हैं। 1989 बैच के आईपीएस आदित्य मिश्रा और 1990 बैच की आईपीएस रेणुका मिश्रा, दोनों डीजी रैंक के अफसर हैं। आदित्य मिश्रा हाल ही में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से लौटे हैं और उन्हें वेटिंग में रखा गया है, वहीं रेणुका को प्रश्नपत्र लीक के मामले में लगभग एक साल पहले हटाया गया था और अब वे डीजीपी ऑफिस में अटैच हैं, लेकिन उन्हें कोई नियमित कार्य या जिम्मेदारी नहीं दी गई है।

इसी क्रम में, डीआईजी देवरंजन वर्मा और अतुल शर्मा भी वेटिंग में हैं। देवरंजन वर्मा को बलिया में अवैध वसूली कांड के बाद 25 जुलाई को हटाया गया था। वहीं, अतुल शर्मा पर प्रयागराज में एसएसपी रहते हुए भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे, जिसके बाद उन्हें सस्पेंड किया गया था।Although उनकी प्रमोशन प्रक्रिया शुरू की गई, लेकिन उन्हें भी वेटिंग लिस्ट में ही रखा गया है। इसके अलावा, प्रीतिंदर सिंह जो 2004 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं, वे एक साल से अधिक समय से डीजीपी मुख्यालय में अटैच हैं और उनके पास भी कोई जिम्मेदारी नहीं है।

वेटिंग और अटैच के बीच का मुख्य अंतर यह है कि वेटिंग में रहने वाले अधिकारियों को वेतन नहीं मिलता, जबकि अटैच अधिकारियों को वेतन मिलता रहता है। रेणुका मिश्रा को वेटिंग में रखा गया था, लेकिन बाद में उन्हें डीजीपी मुख्यालय में अटैच कर दिया गया, जिसके चलते उन्हें वेतन प्राप्त हो रहा है। यूपी के पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह ने इस स्थिति पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि जब कोई अधिकारी वेटिंग में होता है, तब वे किसी इकाई का हिस्सा नहीं बनते हैं और इसलिए उन्हें कोषागार से वेतन नहीं मिल पाता।

न केवल वेटिंग में मौजूद अफसर, बल्कि कई प्रमोशन पाए अधिकारी भी अपनी तैनाती का इंतजार कर रहे हैं। लगभग 18 अधिकारियों को, जो जनवरी 2025 में प्रमोशन प्राप्त कर चुके हैं, अभी तक कोई जिम्मेदारी नहीं मिली है। इनमें लखनऊ रेंज में आईजी के तौर पर तैनात प्रशांत कुमार का नाम प्रमुख है। इसके अलावा, कुछ पुलिस कप्तान भी जो अब डीआईजी बन चुके हैं, उन्हें अपनी नई तैनाती की प्रतीक्षा है।

इस समय यूपी पुलिस के लिए यह एक चुनौतीपूर्ण काल है, जहां विभाग के कई प्रभावशाली अधिकारी तैनाती की कमी के कारण वेटिंग या अटैचमेंट में रह रहे हैं। यह स्थिति न केवल कार्य संचालन में बाधा डाल रही है, बल्कि पुलिस विभाग की प्रभावशीलता भी प्रभावित हो रही है। सरकार और संबंधित विभागों को इस मुद्दे पर गंभीरता से ध्यान देकर सही दिशा में निर्णय लेना होगा ताकि पुलिस व्यवस्था को सुचारू बनाया जा सके।

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