संतकबीरनगर। उत्तर प्रदेश में संतकबीरनगर के महुली थाना क्षेत्र के काली जगदीशपुर चौकी पर तैनात दारोगा हरकेश भारती के लिए नियम कानून मायने नहीं रखता। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं कि दारोगा ताकतवर है इसीलिए इनके लिए नियम कानून मायने नहीं रखते। यह जिस स्विफ्ट डिजायर कार से चलते हैं दरअसल इस गाड़ी का असली मालिक जमीरूल्लाह है। जो अपनी गाड़ी को पाने के लिए जिले के आला अधिकारियों के कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं। जबकि दारोगा साहब उसी गाड़ी से कई महीनों से सड़क पर फर्राटे भर रहे हैं। दारोगा साहब के पास ना तो इस गाड़ी के कागजात हैं और ना ही इनके लिए नियम कानून मायने रखता है क्योंकि हरिकेश भारती यूपी पुलिस में दारोगा है।
दरअसल पीड़ित जमीरूल्लाह वर्षों पूर्व गाड़ी संख्या UP 70 DJ 0275 मारुति स्विफ्ट डिजायर कार को फाइनेंस पर लिया। लगभग 2 वर्ष पहले जमीरूल्लाह ने अष्टभुजा नामक व्यक्ति को आपसी समझौते के तहत गाडी दे दिया था। लेकिन जब वर्षों तक जमीरूल्लाह के कार का किस्त नहीं जमा हुआ और ना ही उसे समझौते के तहत रकम मिली तो वह अष्टभुजा से संपर्क करता और रकम की मांग करता उससे पहले ही अष्टभुजा फरार हो गया। हैरान-परेशान जमीरूल्लाह अपनी गाड़ी की तलाश में जुटा तो पता चला कि गाड़ी महुली थाना क्षेत्र के काली जगदीशपुर चौकी में तैनात चौकी इंचार्ज (दरोगा) हरिकेश भारती के पास है।
बताया जा रहा है कि पीड़ित ने फोन के जरिए दरोगा हरिकेश भारती से बात की तो पता चला कि गाड़ी उन्होंने खरीदी है। यह सुनकर पीड़ित जमीरूल्लाह के होश उड़ गए क्योंकि गाड़ी के मूल दस्तावेज उसके पास हैं और गाड़ी की किस्त अभी शेष बाकी हैं तो फिर बिना एनओसी के गाड़ी क्रय-विक्रय कैसे कर ली गई। सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि आम आदमी यदि बिना दस्तावेजों के गाड़ी चलाता है तो यही यूपी पुलिस कार्रवाई के लिए तैयार रहती है तो फिर यह दारोगा बिना कागजात के शिफ्ट डिजायर कार से सड़क पर फर्राटे अब तक कैसे भरते रहे हैं, इनके लिए ना तो यातायात नियम कायदा मायने रखता और ना ही जरूरी दस्तावेज। हालांकि पीड़ित जमीरूल्लाह ने अपनी गाड़ी की वापसी दिलाए जाने के साथ ही दोषी के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की है।