प्रदेश के 59 हजार से अधिक ग्राम पंचायतों और निकायों की कुंडली तैयार होनी है। इसे जैव विविधता रजिस्टर नाम दिया गया है। इस रजिस्टर में गांव की आबादी से लेकर पालतू पशु, जानवरों, पेड़-पौधों, जलीय जंतुओं, फसलों सहित वहां मौजूद कीट-पतंगों तक की जानकारी दर्ज होनी है। इसके लिए राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण (एनबीए) ने 32 तरह के प्रपत्रों पर जानकारी जुटाने के निर्देश दिए थे। मगर तय प्रारूप पर न होने के चलते अब इन्हें नये सिरे से तैयार कराया जाएगा।
प्रदेश में जैव विविधता बोर्ड की स्थापना वर्ष 2010 में हुई थी। बोर्ड को सभी ग्राम पंचायतों और शहरी निकायों में जैव विविधता समितियों का गठन करना था। इन समितियों को जैव विविधता रजिस्टर बनाने हैं। एनबीए द्वारा तय प्रारूप पर रजिस्टर की बात करें तो यह केवल 327 ही बन पाए हैं। दरअसल ग्राम पंचायतों में जैव विविधता समिति और रजिस्टर बनाने का जिम्मा पंचायती राज विभाग को और निकाय क्षेत्र की जिम्मेदारी संबंधित निकायों को दे दी गई। पंचायती राज विभाग ने गांवों में कार्यरत नियोजन एवं विकास समिति को जैव विविधता प्रबंध एवं विकास समिति का नाम दे दिया।
विभाग द्वारा 5-7 पेज में गांवों से संबंधित कुछ जानकारी जुटाई गई। इसमें पेड़-पौधे, फसल और जानवरों का ब्योरा शामिल है। मगर पौधों के प्रचलित नाम तो दिए गए लेकिन अधिकांश में वैज्ञानिक नाम नहीं हैं। ऐसे ही तमाम अन्य जानकारी भी जो एनबीए के प्रारूप में हैं, वो इनमें दर्ज नहीं हैं। इन्हें फास्ट ट्रैक पीबीआर (पब्लिक बायो डायवर्सिटी रजिस्टर) नाम दिया गया। मगर एनबीए ने निर्देश दे दिए कि इन रजिस्टरों को तय प्रारूप पर बनाया जाए। इस काम में पंचायती राज विभाग को वन विभाग तकनीकी सहयोग देगा। फिलहाल एनबीए द्वारा प्रदेशभर में जैव विविधता समितियों और उनके द्वारा तैयार रजिस्टरों का सत्यापन शुरू कराया गया है। इस काम में जूलॉजी-बॉटनी से बीएससी-एमएससी कर रहे छात्रों और रिसर्च स्कॉलरों को लगाया गया है।
यदि प्रदेश के सभी राजस्व गांवों और निकायों का जैव विविधता रजिस्टर तैयार हो जाता है तो यह डाटा बेहद महत्वपूर्ण होगा। इससे न केवल क्षेत्रवार जल स्त्रोतों, जमीनी मिट्टी, फसलों की स्थिति का पता लगने के साथ ही जलवायु परिवर्तन के पर्यावरणीय प्रभावों का भी पता लगाया जा सकेगा। इस डाटा से सरकार को ग्रामीण विकास की विभिन्न योजनाएं बनाने के साथ ही जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को रोकने के प्रयासों में भी मदद मिलेगी।
सचिव राज्य जैव विविधता बोर्ड बी. प्रभाकर ने बताया कि एनबीए द्वारा जैव विविधता रजिस्टरों का सत्यापन शुरू कराया गया है। फॉस्ट ट्रैक पीबीआर भी एनबीए के निर्देश पर बने थे। अब नये निर्देशों के अनुसार उन्हें तैयार कराया जाएगा।