शिवसेना (UBT) के नेता संजय राउत ने मंगलवार को कहा कि पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे अपने चचेरे भाई और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) अध्यक्ष राज ठाकरे के साथ मेल-मिलाप को लेकर “बहुत सकारात्मक” हैं। राउत ने पत्रकारों से बातचीत में दावा किया कि इस संभावित मेल-मिलाप को लेकर अब आंबेडकरी आंदोलन से जुड़े लोग और दल भी संपर्क में हैं और वे इस नये राजनीतिक गठजोड़ का हिस्सा बनने में रुचि दिखा रहे हैं।

राज्यसभा सदस्य राउत ने कहा कि भारत के संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर ने ‘‘संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन’’ का भी नेतृत्व किया था और ‘मराठी मानुष’ की एकता के प्रयास किए थे।

उन्नीस सौ पचास के दशक में चले इस आंदोलन का उद्देश्य मराठी भाषी लोगों के लिए एक पृथक महाराष्ट्र राज्य की स्थापना करना था।

राउत ने कहा, ‘‘उद्धव और राज के बीच चर्चा में किसी तीसरे की जरूरत नहीं है। मैं जानता हूं कि उनके मन में एक-दूसरे और परिवार के लिए क्या भावनाएं हैं। राजनीति के कारण रिश्ते नहीं टूटते। उद्धव इस मेल-मिलाप को लेकर बहुत सकारात्मक हैं। महाराष्ट्र और मराठी मानुष के हित में उनका रुख बेहद सकारात्मक है।’’

करीब दो दशक पहले हुए विभाजन के बाद राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी उद्धव और राज ठाकरे के बयानों से दोनों के मेल-मिलाप की अटकलें तेज हो गई हैं। दोनों ने संकेत दिए हैं कि वे ‘छोटी बातों’ को नजरअंदाज कर मराठी हित के लिए साथ आ सकते हैं।

जहां मनसे प्रमुख राज ठाकरे कह चुके हैं कि मराठी मानुष के हित में एक होना मुश्किल नहीं है, वहीं पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा था कि वह छोटी-मोटी बातों को भूलने को तैयार हैं, बशर्ते महाराष्ट्र-विरोधी तत्वों को जगह न दी जाए।

राज ठाकरे ने 2005 में शिवसेना से अलग होकर 2006 में अपनी पार्टी मनसे की स्थापना की थी। इसके बाद उन्होंने समय-समय पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का विरोध भी किया और साथ भी दिया।

भाजपा कभी उद्धव ठाकरे की पार्टी की सहयोगी रही है।
 

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