निर्जला एकादशी पर हजारों श्रद्धालुओं ने पवित्र गंगा में लगाई आस्था की डुबकी,किया दानपुण्य

—काशी के गंगा घाटों पर आस्था का सैलाब,यह दिन चराचर जगत के स्वामी भगवान विष्णु को समर्पित

वाराणसी,06 जून (हि.स.)। धर्म नगरी काशी में निर्जला एकादशी पर शुक्रवार को हजारों श्रद्धालुओं ने पवित्र गंगा नदी में पुण्य की डुबकी लगाई और गंगाघाटों पर दानपुण्य किया। पर्व पर गंगा स्नान के लिए के लिए भोर से ही श्रद्धालु गंगाघाटों पर पहुंचने लगे। गंगा स्नान के लिए प्राचीन दशाश्वमेध घाट, राजेन्द्र प्रसाद घाट, शीतलाघाट, अहिल्याबाई घाट, पंचगंगा घाट सामनेघाट भारी भीड़ जुटी रही। स्नानार्थियों के चलते गौदोलिया से दशाश्वमेधघाट तक मेले जैसा नजारा रहा। जिला प्रशासन ने गंगा तट से लेकर बाबा विश्वनाथ दरबार तक सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किए थे। दशाश्वमेधघाट के तीर्थ पुरोहित राजू तिवारी ने बताया कि सनातन धर्म में निर्जला एकादशी का बहुत महत्व है। यह दिन चराचर जगत के स्वामी भगवान विष्णु को समर्पित है । इसे साल की सभी एकादशियों में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन व्रत रखने से भक्तों को पुण्य लाभ मिलता है और पूरे साल के एकादशी व्रत का फल प्राप्त होता है। पुरोहित ने बताया कि एकादशी के दिन सनातनी चावल नहीं खाते और न ही चावल दान करते है। इस दिन फल फूल आम, केला इत्यादि दान करते हैं। गगरी भरकर जल ब्राह्मण को दान करते हैं। ज्येष्ठ माह की एकादशी ‘निर्जला एकादशी ‘ को भीम एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। निर्जला एकादशी व्रत मन को संयम सिखाता है और शरीर को नई ऊर्जा देता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार इस एकादशी में ब्रह्महत्या सहित समस्त पापों का शमन करने की शक्ति होती है। इस दिन मन, कर्म, वचन द्वारा किसी भी प्रकार का पाप कर्म करने से बचने का प्रयास करना चाहिए। साथ ही तामसिक आहार, परनिंदा एवं दूसरों के अपमान से भी दूर रहना चाहिए। भक्तिपूर्वक इस व्रत को करने से व्रती को करोड़ों गायों को दान करने के समान फल प्राप्त होता है।

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