पर बताया जा रहा है कि आंध्र प्रदेश भाजपा में नेताओं का एक वर्ग चंद्रबाबू नायडू के साथ किसी भी गठबंधन के खिलाफ है। पिछले कुछ वर्षों में दोनों दलों के बीच के संबंधों में खटास आ गई थी। आलाकमान को याद दिलाया कि लोकसभा चुनाव 2019 के प्रचार में चंद्रबाबू नायडू ने पीएम नरेंद्र मोदी की जबरदस्त आलोचना की। और कांग्रेस के प्रति उनकी गर्मजोशी चर्चा में रही।
पर अब माहौल कुछ बदल गया है। कर्नाटक विधानसभा चुनावों में भाजपा की हार ने आलाकमान का ध्यान दक्षिण भारत के अन्य राज्यों, विशेष रूप से आंध्र प्रदेश और तेलंगाना पर केंद्रित कर दिया है। जहां भाजपा किसी भी हालात में कांग्रेस की जीत नहीं देखना चाहती है।
बीते दिनों में भाजपा चाणक्य अमित शाह ने तेदेपा संग गठबंधन से इनकार किया था। पर लेकिन पिछले साल से चंद्रबाबू नायडू ने प्रधानमंत्री सहित भाजपा नेताओं से मिलने के लिए कई बार दिल्ली का दौरा किया। इसके साथ TDP ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का भी समर्थन किया था। TDP सुप्रीमो लगातार भाजपा की आलोचना करते रहे हैं पर हाल के महीनों में उनके सुर बदले दिखे। अप्रैल में उन्होंने दूरदर्शी नेता कहते हुए पीएम मोदी की तारीफ की थी।
वैसे तो चंद्रबाबू नायडू जी20 पर एक बैठक के सिलसिले में दिल्ली आए हुए हैं। पर राजनीतिक गालियों में TDP-BJP में गठबंधन की अटकलें लगाई जा रहीं है। अमित शाह, जेपी नड्डा और चंद्रबाबू नायडू की यह मुलाकात आंध्र प्रदेश व तेलंगाना की राजनीति में एक नया असर दिखा सकती है।
तेलंगाना विधानसभा चुनाव 2018 में बीआरएस (तब टीआरएस) ने 88 सीट पर जीत दर्ज की थी। कांग्रेस को 19 सीट, ओवैसी की पार्टी को 7 सीट, टीडीपी को दो सीट और भाजपा को सिर्फ एक सीट से संतोष करना पड़ा। तेलंगाना विधानसभा में 119 सीटें हैं।
वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने आंध्र प्रदेश में अप्रत्याशित प्रदर्शन करते हुए विधानसभा चुनाव में 151 सीटों पर जीत हासिल की। तेलगू देशम पार्टी को सिर्फ 23 सीट पर जीत मिली। आंध्र प्रदेश विधानसभा में कुल 175 सीटें हैं। जन सेना पार्टी ने एक सीट पर जीत हासिल की।