चुनाव की सरर्गियां तेज हो गईं हैं। लोकसभा चुनाव 2024 में है। इस वर्ष के अंत में तेलंगाना में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। पार्टियों ने अपनी कमर कस ली है। कांग्रेस कर्नाटक जीत के बाद बेहद उत्साहित है। बिहार सीएम नीतीश कुमार विपक्षी मोर्चा तैयार कर रहे हैं। 12 जून को पटना में विपक्षी दलों की बैठक होगी। भाजपा के ‘चाणक्य’ अमित शाह और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा भी नए फार्मूला की तलाश में हैं। मिशन दक्षिण को कामयाब बनाने के लिए भाजपा अपने पुराने साथियों के साथ एक बार फिर जोड़ने की चाह में हैं। शनिवार को TDP सुप्रीमो एन. चंद्रबाबू नायडू ने अमित शाह और जेपी नड्डा से करीब 50 मिनट मुलाकात की। बताया जा रहा है कि इस मुलाकात में TDP-BJP गठबंधन के रेशों को बुना जा रहा था। पर अभी दोनों पार्टियों में से किसी ने खुलकर कुछ नहीं कहा।
एन. चंद्रबाबू नायडू मौजूद वक्त में आंध्र प्रदेश में विपक्ष में हैं। वहीं तेलंगाना में भी TDP विपक्ष में बैठती है। 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले एन. चंद्रबाबू नायडू एनडीए के खेमे में शामिल थे। पर TDP ने आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जे के मुद्दे पर मार्च 2018 में में सत्तारूढ़ गठबंधन एनडीए का साथ छोड़ दिया। हाल ही में पोर्ट ब्लेयर में हुए नगर निकाय चुनाव के बाद TDP-BJP दोनों पार्टियां साथ आ गईं थी।
अब TDP-BJP दोनों की मजबूरी दोनों को हमराह बनाने के रास्ते खोल रही है। मिशन दक्षिण को पूरा करने के लिए भाजपा अपने रुठे व ‘बिछड़े साथियों’ को मनाने में लगी है। इधर TDP सुप्रीमो एन. चंद्रबाबू नायडू को आंध्र प्रदेश के साथ तेलंगाना राज्य की सत्ता पर अपना असर चाहिए। आंध्र प्रदेश में YSRCP को हराने के लिए भाजपा और उसकी समान विचारधारा वाली पार्टियों के बीच गठबंधन हो सकता है। आंध्र प्रदेश से ही निकल कर तेलंगाना राज्य का गठन हुआ है।

पर बताया जा रहा है कि आंध्र प्रदेश भाजपा में नेताओं का एक वर्ग चंद्रबाबू नायडू के साथ किसी भी गठबंधन के खिलाफ है। पिछले कुछ वर्षों में दोनों दलों के बीच के संबंधों में खटास आ गई थी। आलाकमान को याद दिलाया कि लोकसभा चुनाव 2019 के प्रचार में चंद्रबाबू नायडू ने पीएम नरेंद्र मोदी की जबरदस्त आलोचना की। और कांग्रेस के प्रति उनकी गर्मजोशी चर्चा में रही।

पर अब माहौल कुछ बदल गया है। कर्नाटक विधानसभा चुनावों में भाजपा की हार ने आलाकमान का ध्यान दक्षिण भारत के अन्य राज्यों, विशेष रूप से आंध्र प्रदेश और तेलंगाना पर केंद्रित कर दिया है। जहां भाजपा किसी भी हालात में कांग्रेस की जीत नहीं देखना चाहती है।

बीते दिनों में भाजपा चाणक्य अमित शाह ने तेदेपा संग गठबंधन से इनकार किया था। पर लेकिन पिछले साल से चंद्रबाबू नायडू ने प्रधानमंत्री सहित भाजपा नेताओं से मिलने के लिए कई बार दिल्ली का दौरा किया। इसके साथ TDP ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का भी समर्थन किया था। TDP सुप्रीमो लगातार भाजपा की आलोचना करते रहे हैं पर हाल के महीनों में उनके सुर बदले दिखे। अप्रैल में उन्होंने दूरदर्शी नेता कहते हुए पीएम मोदी की तारीफ की थी।

वैसे तो चंद्रबाबू नायडू जी20 पर एक बैठक के सिलसिले में दिल्ली आए हुए हैं। पर राजनीतिक गालियों में TDP-BJP में गठबंधन की अटकलें लगाई जा रहीं है। अमित शाह, जेपी नड्डा और चंद्रबाबू नायडू की यह मुलाकात आंध्र प्रदेश व तेलंगाना की राजनीति में एक नया असर दिखा सकती है।

अगर, दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन होता है तो भाजपा आंध्र प्रदेश सहित दक्षिण के राज्यों में अपने कदम फैला सकती है। टीडीपी तेलंगाना में विपक्ष के रूप में मजबूत है। जबकि टीडीपी आंध्र प्रदेश में बड़ी जातियों के समर्थन के लिए संघर्ष कर रही है।

तेलंगाना विधानसभा चुनाव 2018 में बीआरएस (तब टीआरएस) ने 88 सीट पर जीत दर्ज की थी। कांग्रेस को 19 सीट, ओवैसी की पार्टी को 7 सीट, टीडीपी को दो सीट और भाजपा को सिर्फ एक सीट से संतोष करना पड़ा। तेलंगाना विधानसभा में 119 सीटें हैं।

वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने आंध्र प्रदेश में अप्रत्याशित प्रदर्शन करते हुए विधानसभा चुनाव में 151 सीटों पर जीत हासिल की। तेलगू देशम पार्टी को सिर्फ 23 सीट पर जीत मिली। आंध्र प्रदेश विधानसभा में कुल 175 सीटें हैं। जन सेना पार्टी ने एक सीट पर जीत हासिल की।

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