चीन की सेना ने 24 घंटे की अवधि में ताइवान की ओर 103 लड़ाकू विमान भेजे, जिसके बारे में द्वीप के रक्षा मंत्रालय ने सोमवार को दावा किया कि यह हाल के दिनों में एक नया दैनिक रिकॉर्ड है।

मंत्रालय ने कहा, रविवार सुबह 6 बजे से सोमवार सुबह 6 बजे के बीच विमानों का पता लगाया है। वे ताइवान पहुंचने से पहले ही वापस लौट गये।

ताइवान को अपने क्षेत्र का हिस्सा बताने वाले चीन ने ताइवान के आसपास हवा और पानी में बड़े पैमाने पर सैन्य अभ्यास किया है। इसकी वजह अमेरिका और चीन के बीच में बढ़ता तनाव है। अमेरिका, ताइवान का मुख्य हथियार सप्लायर है और बलपूर्वक ताइवान की स्थिति को बदलने के किसी भी कोशिश का विरोध करता है।

ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि 40 विमानों ने मुख्य भूमि चीन और द्वीप के बीच प्रतीकात्मक आधे रास्ते को पार किया। इसने पिछले 24 घंटों में नौ नौसैनिक जहाजों की भी सूचना दी।

मंत्रालय ने चीनी सैन्य कार्रवाई को “उत्पीड़न” बताया और चेतावनी दी कि इससे मौजूदा तनावपूर्ण माहौल बढ़ सकता है। एक बयान में कहा गया, “हम बीजिंग अधिकारियों से जिम्मेदारी लेने और इस तरह की विनाशकारी सैन्य गतिविधियों को तुरंत रोकने का आग्रह करते हैं।”

चीन ने पिछले हफ्ते ताइवान के निकट जल क्षेत्र में विमानवाहक पोत शेडोंग सहित जहाजों का एक बेड़ा भेजा था। यह अभ्यास अमेरिका और कनाडा द्वारा ताइवान जलडमरूमध्य के माध्यम से युद्धपोतों को रवाना करने के तुरंत बाद हुआ।

चीन की हालिया हरकतें जनवरी में होने वाले ताइवान के राष्ट्रपति चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश हो सकती हैं। सत्तारूढ़ डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी चीनी सरकार के विरोधी है। चीन उन विपक्षी उम्मीदवारों का पक्ष लेता है जो मुख्य भूमि के साथ काम करने का समर्थन करते हैं।

1949 में ताइवान और चीन का विभाजन हो गया जब गृहयुद्ध के दौरान कम्युनिस्टों ने चीन पर कब्जा कर लिया। हारने वाले राष्ट्रवादी ताइवान भाग गए और द्वीप में अपनी सरकार स्थापित की।

यह द्वीप स्वशासित है। हालांकि, केवल कुछ विदेशी राष्ट्र ही इसे आधिकारिक राजनयिक मान्यता देते हैं। इसके अलावा अमेरिका ने ताइवान में एक प्रतिनिधि कार्यालय बनाए रखते हुए चीन के साथ औपचारिक संबंध बनाए हुए हैं।

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