सुष्मिता सेन स्टारर अपकमिंग सीरीज ‘ताली’ का ट्रेलर रिलीज हो गया है। यह सीरीज ट्रांसजेंडर एक्टिविस्ट श्रीगौरी सावंत के जीवन पर आधारित है।
2 मिनट 11 सेकंड का ट्रेलर सुष्मिता की आवाज़ के साथ शुरू होता है, जिसमें कहा गया है, ‘नमस्ते मैं गौरी, ये कहानी मेरे जैसे कई लोगों की है। क्योंकि ये गौरी भी कभी गणेश था।’
ट्रेलर में एक स्कूल के बच्चे की झलक दिखाई गई है और उसकी टीचर उससे पूछती है कि तुम बड़े होकर क्या बनोगे, तो वह जवाब देता है, ‘मुझे मां बनना है’। टीचर कहते हैं ‘मर्द कभी मां नहीं बन सकते’।
फिर छोटे लड़के को साड़ी और माथे पर लाल बिंदी लगाते हुए देखा जाता है। वह ट्रांसजेंडरों के साथ कुछ अनुष्ठान करता है और यहां ट्रांजिशन होता है और वह लड़का बड़ा हो जाता है।
उस किरदार के वयस्क रूप को सुष्मिता सेन निभाती हैं। वह एक आवेदन पत्र भर रही हैं, जहां वह असमंजस में हैं कि किस सेक्शन पर टिक करें- पुरुष या महिला। वह दो लाइनों के बीच में खड़ी हैं- एक महिलाओं की और दूसरी पुरुषों की। यह सीन उस भ्रम की भावना को दर्शाता है, जिससे ट्रांसजेंडर यह चुनते समय गुजरते हैं कि वे किस लिंग से संबंधित हैं। इसमें गौरी की सर्जरी की भी झलक है।
बाद में, ट्रेलर में गौरी को ट्रांसजेंडरों के अधिकारों के लिए लड़ते हुए दिखाया जाता है। वह कहती सुनाई दे रही हैं, “जिस देश में कुत्तों तक का सेंसस होता है पर ट्रांसजेंडर्स का नहीं, ऐसे देश में आप जैसे लोगों के बीच जीना, ये डरावनी चीज है।”
गौरी स्टेज पर एक पैनल के साथ बैठी हैं और भीड़ उनके लिए तालियां बजा रही है।
ट्रेलर में गौरी को एक वकील से बात करते हुए और कहते हुए दिखाया गया है, “अगर आप मर्द या औरत नहीं हैं, जिंदा ही नहीं हैं?’ इस पर उन्हें जवाब मिलता है, ‘ये नियम है।’ वह पूछती है, “नियम बदलने में क्या लगता है”, वह कहता है ‘याचिका’।
इसके बाद गौरी कहती नजर आती हैं, “हमने ट्रांसजेंडर इक्वॉलिटी के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली है। गली की लड़ाई आखिर दिल्ली तक पहुंच ही गई।”
एक न्यूज रिपोर्टर गौरी से पूछता है, “ट्रांसजेंडर को कानूनी अधिकार मिलना कितना जरूरी है?”, इस पर वह जवाब देती है, “जितना एक बच्चे को उसकी मां मिलना।”
ट्रेलर के अंत में गौरी छोटे बच्चों को गले लगाती हैं और कहती हैं, “मां होना कोई जेंडर नहीं, फीलिंग है”।
‘ताली’ का प्रीमियर 15 अगस्त को जियोसिनेमा पर होगा।