आज 14 अक्टूबर 2023 को साल का दूसरा और अंतिम सूर्य ग्रहण लगने वाला है। सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना होती है, जिसे धार्मिक तौर पर अशुभ माना जाता है। हर साल धरती पर सूर्यग्रहण की स्थिति बनती है। सूर्यग्रहण की दृश्यता के अनुसार ही सूतक काल को निर्धारित किया जाता है। वहीं यदि भारत में ग्रहण नजर आता है तो यहां का सूतक काल मान्य होता है, इसके अलावा यदि ग्रहण नजर नहीं आ रहा है तो सूतक काल यहां मान्य नहीं होगा। धार्मिक दृष्टि से ग्रहण को शुभ नहीं माना जाता है। जब सूर्य ग्रहण लगता है तो कुछ राशियों पर अपना असर छोड़ता है जिसका कई बार दुष्परिणाम भी देखने को मिलता है। ऐसे में हम आपको आज बताने वाले हैं सूर्य ग्रहण के दुष्परिणाम कम करने के लिए कुछ खास उपाय।
सूर्य ग्रहण के दुष्परिणाम कम करने के उपाय
गायत्री मंत्र
ॐ भूर् भुवः स्वः।
तत् सवितुर्वरेण्यं।
भर्गो देवस्य धीमहि।
धियो यो नः प्रचोदयात् ॥
महामृत्युंजय मंत्र
त्र्यंबकम् यजामहे सुगंधिम पुष्टि: वर्धनम्।
उर्वारुकमिव बंधनात् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।
- हिन्दू धर्म के अनुसार धार्मिक कार्यों में लौंग और कपूर जैसी वस्तुओं का मुख्य रूप से प्रयोग किया जाता है। क्योंकि इन्हें दैवीय वस्तु माना जाता है। यहीं कारण है कि ग्रहण के समय पर भी लौंग और कपूर का इस्तमाल किया जाता है।
- लौंग व कपूर जलाकर रखने से आपके घर की नकारात्मक ऊर्जा भी दूर होती है और ग्रहण के कारण उत्पन्न होने वाले सभी
विकार भी नष्ट होते हैं। - सूर्य ग्रहण के दिन आप शिव जी की शिवलिंग पर तिल अर्पित करें। भगवान शिव के पंचाक्षर मंत्र ‘ॐ नमः शिवाय’ का 108 बार आसन पर बैठकर जाप करें।
- तांबे के एक लोटे में जल भरे फिर उसमें कुशा और दूर्वा डालकर रख लें। इसके बाद इस जल को पीपल के पेड़ पर चढ़ा दे और पेड़ की 11 बार परिक्रमा भी लगाएं।
- सूर्य ग्रहण के बाद हनुमान चालीसा का पाठ करें। ग्रहण वाले दिन नॉन वेज, मदिरा आदि से दूर रहें।
- सूर्य ग्रहण के प्रभाव को कम करने के लिए परिवार के सभी सदस्यों से सिक्कों के रूप में पैसे इकट्ठा करें और किसी दिन पूरे पैसे मंदिर में दान कर दें।
- सूर्य ग्रहण में स्नान करना वर्जित है।
- ग्रहण के समाप्त होने पर गेंहू, तांबा और गुड़ का गरीबों में दान करें।
- इसके साथ ही आप आदित्यहृदय स्तोत्र का नियमित पाठ करें
- सूर्य को जल चढ़ाएं।