उच्चतम न्यायालय बुधवार को मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी ) और चुनाव आयुक्तों के चयन के लिए बनी समिति में प्रधान न्यायाधीश को शामिल नहीं किए जाने को चुनौती देने वाली एक गैर-सरकारी संगठन की याचिका पर 15 मार्च को सुनवाई करने के लिए सहमत हो गया।
शीर्ष अदालत ने स्वस्थ लोकतंत्र के लिए आयोग को ‘राजनीति और कार्यपालिका के हस्तक्षेप’ से दूर रखने के आधार पर सुनवाई के लिए सहमति जताई है।
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अगुवाई वाली पीठ ने एनजीओ ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण की दलीलों पर गौर किया और शुक्रवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया।
भूषण ने याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया था। न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा, ‘मुझे अभी प्रधान न्यायाधीश से संदेश मिला है कि इसे शुक्रवार को सूचीबद्ध किया जाएगा।’
एनजीओ ने ‘मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य निर्वाचन आयुक्त अधिनियम, 2023’ के एक प्रावधान की वैधता को चुनौती दी है।
एनजीओ ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त अधिनियम, 2023 की धारा सात की वैधता और उसके कार्यान्वयन पर रोक लगाने की मांग की है। यह प्रावधान कानून प्रधान न्यायाधीश को निर्वाचन आयुक्तों का चयन करने वाली समिति से बाहर करता है।
नए कानून के अनुसार चयन समिति में प्रधानमंत्री अध्यक्ष होंगे और इसमें दो सदस्य होंगे जिनमें लोकसभा में विपक्ष के नेता और प्रधानमंत्री द्वारा नामित एक केंद्रीय मंत्री शामिल हैं। हाल में निर्वाचन आयुक्त अरुण गोयल से इस्तीफे के बाद एनजीओ ने शीर्ष अदालत का रुख किया है।
अपनी याचिका में एनजीओ ने उच्चतम न्यायालय को रिट याचिका के लंबित होने तक चुनाव आयुक्तों के रिक्त पदों पर नियुक्ति के लिए भारत सरकार को निर्देश देने की मांग की।
याचिका में मांग की गई कि 2023 में अनूप बरनवाल बनाम भारत संघ मामले में शीर्ष न्यायालय द्वारा निर्धारित चयन समिति के अनुसार पदों की भरने की मांग भी की गयी।
याचिका में कहा गया है, लोकतंत्र, संविधान की मूल संरचना का एक आयाम है और स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने और देश में स्वस्थ लोकतंत्र बनाए रखने के लिए निर्वाचन आयोग को राजनीति एवं कार्यपालिका के हस्तक्षेप से अलग रखा जाना चाहिए।
अधीर ने मांगी सूची
लोस में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी (Adhir Ranjan Chaudhary) ने चुनाव आयुक्तों के चयन के लिए प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली उच्चाधिकार प्राप्त समिति की बैठक से पहले विधि मंत्रालय को पत्र लिखकर सूचीबद्ध किए गए उम्मीदवारों के ‘डोजियर’ के साथ उनका विवरण मांगा है।