हलफनामे में एसपी की भाषा पर हाईकोर्ट नाराज, भविष्य में सावधानी बरतने की नसीहत
-एसपी बलिया को बेहतर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश
प्रयागराज, 08 मई (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एस पी बलिया ओमवीर सिंह द्वारा प्रस्तुत शपथपत्र में प्रयुक्त भाषा पर असंतोष जताया है और भविष्य में भाषा में सुधार लाने की नसीहत दी है।
एस पी ने हलफनामे में ““किसी अदालत के किसी आदेश““ के पालन में पुलिस बल उपलब्ध करायेंगे, लिखने पर नाराजगी जताई और कहा कि न्यायालय एक पवित्र संस्था है, उसे किसी अदालत के रूप में नहीं जिला जज बलिया या सिविल जज सीनियर डिवीजन बलिया कह कर सम्बोधित किया जाना चाहिए।
कोर्ट ने एस पी को न्यायालय की गरिमा का पाठ पढ़ाते हुए कहा कि, तहसीलदार, सहायक कलेक्टर होता है। वह पुलिस अधीक्षक का अधीनस्थ नहीं होता। पुलिस अधीक्षक बलिया को भविष्य में सावधान रहने की नसीहत के साथ उनको बेहतर हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया। याचिका की सुनवाई 9 मई को दोपहर बाद होगी।
यह आदेश न्यायमूर्ति जे जे मुनीर ने गजेन्द्र उर्फ धर्मात्मा की जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है। याचिका में अतिक्रमण हटाने की मांग की गई है। तहसीलदार रसड़ा बलिया ने कहा पुलिस फोर्स नहीं मिली इसलिए अतिक्रमण नहीं हटाया जा सका।
कोर्ट ने एस पी से हलफनामा मांगा तो उन्होंने हलफनामा दाखिल कर यह बातें की और कहा कि तहसीलदार ने 26 मई की अतिक्रमण हटाने की तिथि तय कर पुलिस फोर्स उपलब्ध कराने का अनुरोध किया है। इससे पहले 3 मई को तहसीलदार का अनुरोध पत्र कोतवाली को मिला था। तुरंत कार्रवाई की गई और अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है। 26 मई को पुलिस बल भी दिया जायेगा।
कोर्ट ने कहा तहसीलदार को पुलिस बल देने का अनुरोध करने की आवश्यकता नहीं है। उसे केवल अभियान में उठाये जाने वाले कदमों की सूचना देनी है। जिस पर आवश्यकता अनुसार पुलिस दी जाएगी।
कोर्ट ने एस पी बलिया के हलफनामे पर असंतोष जताया। कहा एफआईआर कोर्ट आदेश के बाद दर्ज किया। कोई महान कार्य नहीं किया है। इसलिए वह बेहतर हलफनामा दाखिल करे।
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