भारत के शर्बती गेहूं की दुनिया भर में धूमः शिवराज सिंह चौहान

नई दिल्ली, 25 अप्रैल (हि.स.)। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण व ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज कहा कि एक समय था, जब हम अपनी जनता का पेट भरने के लिए अमेरिका से निम्न स्तर का गेहूं लेने के लिए मजबूर थे लेकिन आज देश में अन्न के भंडार भर हुऐ हैं। हमारा शरबती गेहूं आज दुनिया में धूम मचा रहा है। हमारे खाद्यान्न का उत्पादन लगातार बढ़ता जा रहा है।

शिवराज सिंह स्वदेशी शोध संस्थान के विजन ऑफ भारत 2047 के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को वर्चुअल माध्यम से संबोधित कर रहे थे। उन्होंने भारत की महानता को रेखांकित करते हुए कहा कि समृद्धि के पैमाने अलग-अलग होते हैं। सिर्फ आर्थिक रूप से संपन्नता को समृद्धि नहीं माना जाता है। उन्होंने प्राचीन काल की मिसाल देते हुए कहा कि जब पश्चिम के लोग अपने शरीर को पत्तों और छालों से ढ़का करते थे तो हमारे यहां मलमल बन गया था। हमारे ऋषियों ने कहा कि वसुधैव कुटुम्बकम् यानी सारी दुनिया एक परिवार है।

उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के खतरों के बावजूद बढ़ते तापमान और अनिश्चित मौसम के बावजूद हमने देश के खाद्यान्न को ही नहीं बढ़ाया है बल्कि अपनी जनता का पेट भी भरा है, साथ ही कई देशों को अन्न का निर्यात भी किया है। हम दलहन और तिलहन का उत्पादन भी बढ़ा रहे हैं। उन्होंने बताया कि एक करोड़ किसानों को सेनसेंटाइज किया जा रहा है, प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। हमारा लक्ष्य है कि हम लगभग 15 सौ कलस्टर में साढ़े सात लाख किसानों तक प्राकृतिक खेती को ले जायें ताकि ये किसान अपने खेत के एक हिस्से में प्राकृतिक खेती को प्रारम्भ करे। हम सभी को धरती को भी कीटनाशकों से बचाना होगा। कीटनाशकों के कारण कई पक्षियों का नामोनिशान ही मिट गया है और नदियां भी प्रदूषित हो रही हैं।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि शहरों के विकास से ही काम नहीं चलेगा, स्वावलंबी व विकसित गांव कैसे बने, सड़कों का नेटवर्क, गांव में बुनियादी सुविधायें, पक्का मकान, शुद्ध पीने का पानी, पंचायत भवन, सामुदायिक भवन, स्थानीय बाजार और गांव के लिए जरुरी चीजें गांव में ही कैसे उत्पादित कर पायें, उस पर काम करने का प्रयास किया जाये। उन्होंने कहा कि यह सब हमें करना पड़ेगा तभी गांव विकसित होगा। गांव का हर परिवार किसी न किसी रोजगार से जुड़ा हो उस दृष्टि से भी प्रयत्न करने की आवश्यकता है। विकसित देशों की तुलना में भारत केवल 7 प्रतिशत कार्बन उर्त्सजन करता है। भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। हम अपना विकास भी करेंगे और दुनिया को भी राह दिखाएंगे।

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