तथागत बुद्ध ने अपने ज्ञान और शिक्षाओं से समाज में महत्वपूर्ण परिवर्तन किए: प्रो.नेगी

बुद्ध जयन्ती पर भारतीय ज्ञान परंपरा में तथागत बुद्ध का अवदान विषयक गोष्ठी

वाराणसी,11 मई (हि.स.)। केंद्रीय तिब्बती अध्ययन विश्वविद्यालय, सारनाथ, वाराणसी के कुलपति प्रोफेसर वांगचुक दोर्जे नेगी ने रविवार को कहा कि तथागत बुद्ध ने अपने ज्ञान और शिक्षाओं से समाज में महत्वपूर्ण परिवर्तन किए। उनके प्रमुख अवदानों में बौद्ध धर्म की स्थापना, आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान करना, नैतिकता और मूल्यों पर जोर देना और सामाजिक सुधार के लिए काम करना शामिल है। उनकी शिक्षाओं का प्रभाव विश्वभर में देखा गया और आज भी प्रासंगिक हैं।

बुद्ध जयंती के पूर्व संध्या पर प्रो. नेगी संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के श्रमण विद्या संकाय की ओर से आयोजित “भारतीय ज्ञान परम्परा में तथागत बुद्ध का अवदान” विषयक गोष्ठी को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि तथागत बुद्ध का अवदान भारतीय ज्ञान परंपरा में अत्यधिक महत्वपूर्ण है और उनकी शिक्षाएं आज भी लोगों को जीवन के उद्देश्य और अर्थ को समझने में मदद करती हैं। उनकी शिक्षाएं हमें जीवन के सही मार्ग पर चलने और समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए प्रेरित करती हैं। गोष्ठी में बीएचयू के पालि एवं बौद्ध अध्ययन विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. हरिशंकर शुक्ल ने कहा कि तथागत बुद्ध के प्रमुख अवदान और उनकी शिक्षाओं का प्रभाव तथागत बुद्ध ने बौद्ध धर्म की स्थापना की, जो अहिंसा, करुणा और आत्म-ज्ञान पर आधारित है। श्रमण विद्या संकाय के पूर्व अध्यक्ष प्रो. हर प्रसाद दीक्षित ने भारतीय ज्ञान परम्परा में तथागत बुद्ध के अवदान को बताया।

गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर बिहारी लाल शर्मा ने कहा कि तथागत बुद्ध ने बौद्ध धर्म की स्थापना की, जो अहिंसा, करुणा और आत्म-ज्ञान पर आधारित है। उन्होंने अपने अनुयायियों को आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान किया, जिससे उन्हें जीवन के उद्देश्य और अर्थ को समझने में मदद मिली। उनकी शिक्षाओं ने न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में प्रभाव डाला है और आज भी प्रासंगिक हैं। कुलपति ने कहा कि बौद्ध दर्शन में दुःख निरोध के उपायों का उद्देश्य दुःख के कारणों को समझना और उन्हें दूर करना है। इसके पहले अतिथियों का स्वागत संकायाध्यक्ष, श्रमण विद्या संकाय प्रो. रमेश प्रसाद ने किया। प्रोफेसर रामपूजन पाण्डेय ने धन्यवाद ज्ञापन और सम्पूर्ण कार्यक्रम का संचालन डॉ मधुसूदन मिश्र ने किया। गोष्ठी में प्रो. जितेन्द्र कुमार, रजनीश कुमार शुक्ल,प्रो. हरिशंकर पाण्डेय, प्रो. महेंद्र पाण्डेय,प्रो सुधाकर मिश्र,प्रो अमित कुमार शुक्ल,डॉ विशाखा शुक्ला आदि की मौजूदगी रही।

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