जीवनशैली जन्य रोगों के निदान के लिए आयुर्वेद संजीवनी : डॉ. जीएस तोमर
गोरखपुर, 16 मई (हि.स.)। महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय गोरखपुर (एमजीयूजी) के गुरु गोरक्षनाथ इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज़ (आयुर्वेद कॉलेज) एवं विश्व आयुर्वेद मिशन के संयुक्त तत्वावधान में शुक्रवार को एक वैज्ञानिक संगाेष्ठी का आयाेजन किया गया। ‘एक राष्ट्र-एक स्वास्थ्य तंत्र: वर्तमान समय की आवश्यकता’ विषय पर आयाेजित संगोष्ठी में मुख्य वक्ता विश्व आयुर्वेद मिशन के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. जीएस तोमर ने संबाेधित किया। उन्हाेंने कहा कि यूं तो चिकित्सा की हर विधा महत्वपूर्ण है लेकिन समग्र रूप से देखें तो जीवनशैली जन्य रोगों के निदान के लिए आयुर्वेद संजीवनी है।
डॉ. तोमर ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी का सपना था कि एक राष्ट्र में एक ही स्वास्थ्य तंत्र होना चाहिए। उनके इस स्वप्न को साकार करने का बीड़ा हमारे वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उठाया है। उन्होंने कहा कि देश में आज आयुर्वेद, एलोपैथी, होम्योपैथी, यूनानी, सिद्ध, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा सहित अनेक चिकित्सा विधाएं प्रचलित हैं। प्रत्येक विधा की अपनी अपनी विशेषताएं एवं सीमाएं होती हैं। अत: प्रत्येक विधा की अच्छाइयों को लेकर एक ऐसा संयुक्त स्वास्थ्य तंत्र बनाया जाना चाहिए जो अपने आप में पूर्ण एवं समग्रतामूलक हो।
डॉ. तोमर ने कहा कि देश के सभी चिकित्सालयों में प्रत्येक विधा की सुविधा एक ही छत के नीचे किया जाना चाहिए जिससे कैफेटेरिया की तरह रोगी अपनी आवश्यकता के अनुसार विधा के चयन करने के लिए स्वतंत्र हो। इस अवसर पर आयुर्वेद कॉलेज के प्राचार्य डॉ गिरिधर वेदान्तम, चिकित्सालय अधीक्षक डॉ अवनीश द्विवेदी आदि ने भी अपने विचार रखे। संगोष्ठी में आयुष विश्वविद्यालय के परामर्शदाता डॉ रमाकांत द्विवेदी एवं डॉ लक्ष्मी द्विवेदी भी उपस्थित रहीं।
संगोष्ठी के पूर्व डॉ तोमर ने संस्थान के छात्रों को “मधुमेह प्रबंधन-एक आयुर्वेदिक दृष्टिकोण” विषय पर विस्तृत व्याख्यान दिया एवं महंत दिग्विजय नाथ चिकित्सालय आरोग्यधाम में करीब 150 सौ रोगियों को नि:शुल्क चिकित्सा परामर्श प्रदान किया। इस अवसर पर गुणवत्ता के लिए जाने जानी वाली औषधि निर्माणशाला प्रवेक कल्प की ओर से नि:शुल्क बीएमडी जांच की व्यवस्था भी कराई गई।
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