केरल की हिंदू लड़कियों का ब्रेनवॉश कर उन्हें खाड़ी देशों में आतंकी बनाने की थीम पर बनी फिल्म द केरला स्टोरी पर आज सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। पश्चिम बंगाल में इस फिल्म को बैन किए जाने के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अपना फैसला सुनाया। सर्वोच्च अदालत ने बंगाल में केरल स्टोरी को बैन किए जाने के फैसले को गलत करार दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार के उस फैसले पर रोक लगा दी है जिसके तहत बंगाल में केरल स्टोरी को बैन किया गया था।
देश की सर्वोच्च अदालत के इस फैसले के साथ ही अब केरल स्टोरी के बंगाल में रिलीज किए जाने का रास्ता साफ हो गया है। बंगाल में केरल स्टोरी को बैन किए जाने के मामले में चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि लोगों की भावनाओं के आधार पर आप मौलिक अधिकार बाधित नहीं कर सकते हैं।
गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में हुई इस मामले की सुनवाई के दौरान बंगाल सरकार की तरफ से पेश हुए वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि फिल्म से लोगों के भड़कने का खतरा था। इस पर चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि लोगों की भावनाओं के आधार पर आप मौलिक अधिकार बाधित नहीं कर सकते हैं। कानून-व्यवस्था संभालना सरकार का काम है। अगर किसी ज़िले की विशेष स्थिति के चलते रोक लगती तो अलग बात थी। लेकिन आपने तो पूरे राज्य में रोक लगाई है।’
सुनवाई के दौरान सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हम पश्चिम बंगाल सरकार की तरफ से फिल्म पर 8 मई को लगाई गई रोक को हटा रहे हैं। इस रोक का कोई पुख्ता आधार नज़र नहीं आ रहा है। उन्होंने कहा कि हम तमिलनाडु सरकार के इस बयान को रिकॉर्ड पर ले रहे हैं कि उसने कोई रोक नहीं लगाई है।
सर्वोच्च अदालत ने कहा कि थिएटर मालिकों पर फिल्म न दिखाने के लिए कोई दबाव भी नहीं बनाया गया है। हम निर्देश दे रहे हैं कि फ़िल्म दिखाने वाले सिनेमा हॉल को पर्याप्त सुरक्षा दी जाए। सरकार या उससे जुड़े लोग सिनेमाघर मालिकों पर किसी तरह का दबाव न बनाएं।
सीजेआई ने यह भी कहा कि फिल्म के निर्माता इस बात का डिस्क्लेमर लगाएं कि 32 हज़ार लड़कियों के गायब होने का आंकड़ा पुख्ता नहीं है। इस मामले में अब 18 जुलाई को सुनवाई होगी।