आयुर्वेद, सिद्ध, यूनानी दवाओं के भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ कार्रवाई के मामले में दिल्ली, आंध्र प्रदेश, जम्मू-कश्मीर के मुख्य सचिव तलब

नई दिल्ली, 10 फरवरी (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने आयुर्वेद, सिद्ध और यूनानी दवाओं के भ्रामक विज्ञापनों पर कार्रवाई करने पर विफल रहने पर दिल्ली, आंध्र प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के मुख्य सचिवों को तलब किया है। जस्टिस एएस ओका की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि कोर्ट के आदेशों का पालन शायद ही कहीं किया गया है।

कोर्ट ने इन राज्यों के मुख्य सचिवों को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया और पूछा कि आप ये बताएं कि वे नियमों का पालन क्यों नहीं कर रहे हैं।

इस मामले में कोर्ट की ओर से नियुक्त एमिकस क्यूरी और वरिष्ठ वकील शादान फरासत ने कहा कि अधिकांश राज्यों ने माफी को स्वीकार कर लिया है और नियमों का उल्लंघन करने वालों को बरी कर दिया है। उन्होंने कहा कि अगर सभी राज्य ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के नियम 170 का सही तरीके से पालन करना शुरू कर दें तो आयुर्वेद, सिद्ध और यूनानी दवाईयों के भ्रामक विज्ञापनों का मसला हल हो जाएगा।

उल्लेखनीय है कि अगस्त 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने आयुष मंत्रालय की उस अधिसूचना पर रोक लगा दी थी जिसमें औषधि और प्रसाधन सामग्री नियम, 1945 के नियम 170 को हटा दिया गया था। औषधि और प्रसाधन सामग्री नियम, 1945 का नियम 170 आयुर्वेदिक, सिद्ध और यूनानी दवाओं के भ्रामक विज्ञापनों पर रोक लगाता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मंत्रालय से जारी यह अधिसूचना उसके 7 मई, 2024 के आदेश के अनुरूप नहीं है।

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