वकील की ड्रेस में आए हमलावरों ने की फायरिंग; एक बच्ची समेत 4 घायल
लखनऊ। लखनऊ के कैसरबाग स्थित कोर्ट में बुधवार दोपहर पेशी पर आए बदमाश संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की गोली मारकर हत्या कर दी गई। हमलावर वकील की ड्रेस में आए थे। उन्होंने 5-6 राउंड फायरिंग की। इसमें जीवा की मौत हो गई। जबकि एक बच्ची, 2 पुलिसकर्मी समेत 4 लोग जख्मी हैं। वारदात को अंजाम देने के बाद भाग रहे हमलावरों में से एक को वकीलों ने पकड़ लिया। उसकी जमकर पिटाई की। मौके पर बड़ी संख्या में पुलिस तैनात है।
कोर्ट में हत्या की वारदात के बाद वकील आक्रोशित हो गए। पुलिस से धक्का-मुक्की की। कई पुलिसकर्मी को बाहर निकाल दिया और गेट बंद कर दिया। जीवा मुख्तार अंसारी का करीबी था। वह लखनऊ जेल में बंद था। हाल ही में प्रशासन ने उसकी संपत्ति भी कुर्क की थी। जीवा मुजफ्फरनगर का रहने वाला था। शुरुआती दिनों में वह एक दवाखाने में कंपाउंडर की नौकरी करता था। बाद में उसी दवाखाने के मालिक को ही अगवा कर लिया।
यह फोटो बदमाश संजीव जीवा की है। बुधवार को वह पेशी पर आया था तभी इसकी गोली मारकर हत्या कर दी गई।
यह फोटो बदमाश संजीव जीवा की है। बुधवार को वह पेशी पर आया था तभी इसकी गोली मारकर हत्या कर दी गई।
इस घटना के बाद जीवा ने 90 के दशक में कलकत्ता के एक कारोबारी के बेटे का भी अपहरण किया और फिरौती में दो करोड़ रुपए की मांग की। इसके बाद जीवा हरिद्वार की नाजिम गैंग से जुड़ा, फिर सतेंद्र बरनाला के साथ भी जुड़ा। वह खुद अपना भी एक गैंग बनाना चाहता था।

भाजपा नेता ब्रह्मदत्त द्विवेदी नेता की हत्या में भी आया नाम
जीवा का नाम 10 फरवरी 1997 को हुई भाजपा के कद्दावर नेता ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या में सामने आया था। इस केस में जीवा को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। इसके कुछ दिन बाद जीवा, मुन्ना बजरंगी गैंग में शामिल हो गया। इसी समय उसका संपर्क मुख्तार अंसारी से हुआ।
कहते हैं कि मुख्तार को अत्याधुनिक हथियारों का शौक था तो जीवा के पास हथियारों को जुटाने का तिकड़मी नेटवर्क था। इसी कारण उसे अंसारी का सपोर्ट था। इसके बाद जीवा का नाम कृष्णानंद राय हत्याकांड में भी आया।
वारदात के बाद कोर्ट के बाहर पुलिस बल तैनात है। वकील हंगामा कर रहे हैं।
वारदात के बाद कोर्ट के बाहर पुलिस बल तैनात है। वकील हंगामा कर रहे हैं।
हालांकि कुछ सालों बाद मुख्तार और जीवा को साल 2005 में हुए कृष्णानंद राय हत्याकांड में कोर्ट ने बरी कर दिया गया। पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, जीवा पर 22 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हुए। इनमें से 17 मामलों में वह बरी हो चुका था, जबकि उसकी गैंग में 35 से ज्यादा सदस्य हैं।
जीवा जेल से ही गैंग ऑपरेट करता था। उस पर 2017 में कारोबारी अमित दीक्षित उर्फ गोल्डी हत्याकांड में शामिल होने का भी आरोप लगा। इसमें जांच के बाद अदालत ने जीवा समेत 4 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Verified by MonsterInsights