समलैंगिक विवाह को मान्यता देने को लेकर सुप्रीम कोर्ट आज अपना फैसला सुनाएगा। मई माह में सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने इस मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच कर रही ही है। इसमे जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पीएस नरसिम्हा भी शामिल हैं।
मई माह में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर काफी लंबी सुनवाई की थी। समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने के चलते कानूनी और सामाजिक स्तर पर क्या मुश्किलें खड़ी होंगी इसपर लंबी बहस हुई थी।
दरअसल 18 समलैंगिक कपल्स की ओर से समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की मांग को लेकर याचिका दायर की गई थी। याचिका में कहा गया था कि समलैंगिक विवाह को कानूनी, सामाजिक तौर पर मान्यता मिलनी चाहिए।
याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की थी कि समलैंगिक विवाह को स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत मान्यता दी जाए। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि भारत में विवाह संस्कृति पर आधारित है और एलडीबीटीक्यू कपल्स को भी उनका अधिकार मिलना चाहिए। बैंकिंग, इंश्योरेंस में पति या पत्नि कौन है यह दर्ज करने का अधिकार हमे भी मिलना चाहिए।
याचिकाकर्ताओं की ओर से भारत के संविधान के प्रावधान, यूएन मानवाधिकार के घोषणा पत्र, भेदभाव के खिलाफ अधिकार के साथ ही दुनियाभर में एलजीबीटीक्यू के समर्थन में दिए गए फैसलों का जिक्र किया गया है।
इस मामले में केंद्र और कुछ राज्यों ने समलैगिक विवाह को कानूनी मान्यता दिए जाने की मांग का विरोध किया है। विवाह के सामाजिक विचार का हवाला देते हुए इसका विरोध किया गया है।