इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मथुरा में श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर से सटी शाही ईदगाह मस्जिद के परिसर का सर्वेक्षण करने के लिए अदालत की निगरानी में अधिवक्ता आयुक्त नियुक्त करने की मांग करने वाली याचिका बृहस्पतिवार को स्वीकार कर ली। वहीं हाईकोर्ट का फैसला आते ही एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी सवाल उठाते हुए कहा कि बाबरी मस्जिद केस के फैसले के बाद मैंने कहा था कि संघ परिवार (RSS) की शरारत बढ़ेगी।

ओवैसी ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद का सर्वे कराने की इजाजत दे दी। बाबरी मस्जिद केस के फैसले के बाद मैंने कहा था कि संघ परिवार की शरारत आगे भी बढ़ेगी। उन्होंने आगे कहा कि मथुरा विवाद दशकों पहले मस्जिद कमेटी और मंदिर ट्रस्ट ने आपसी सहमति से सुलझा लिया था। काशी, मथुरा या लखनऊ की वाली मस्जिद हो। कोई भी इस समझौते को पढ़ सकता है। प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट अभी भी है, लेकिन इस ग्रुप ने कानून और न्यायिक प्रक्रिया का मजाक बना दिया है।

उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को मामले में 9 जनवरी को सुनवाई करनी थी तो ऐसे क्या जल्दी थी कि सर्वे कराने का फैसला देना पड़ा। ओवैसी ने कहा कि जब एक पक्ष मुस्लिमों को लगातार निशाना बनाने में रुचि रखता है तो कृप्या हमें गिव एंड टेक यानी देना-लेना का उपदेश ना दें। कानून मायने नहीं रखता, मुसलमानों के सम्मान को ठेस पहुंचाना ही मकसद है।

 

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