जन अभियान के माध्यम से ‘नक्शा’ कार्यक्रम का लाभ जन-जन तक पहुंचाना उद्देश्यः शिवराज
नई दिल्ली, 2 मई (हि.स.)। केंद्रीय ग्रामीण विकास और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा समग्र कृषि और ग्रामीण विकास के लिए मैराथन बैठकों का दौर जारी है। कृषि भवन में शुक्रवार को वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में चौहान ने ग्रामीण विकास मंत्रालय के अंतर्गत ग्रामीण विकास एवं भूमि संसाधन विभाग की योजनाओं-कार्यक्रमों की समीक्षा की।
केंद्रीय मंत्री चौहान ने भूमि संसाधन विभाग के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), इंटरनेट ऑफ थिंग्स जैसी आधुनिक तकनीक का जलग्रहण विकास कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में बेहतर उपयोग करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि मृदा व नमी संरक्षण डेटा के आधार पर निर्णय सहायता प्रणाली विकसित करके ग्राम समुदाय और व्यक्तिगत किसानों को उचित सलाह दी जाना चाहिए।
शिवराज सिंह ने कृषि भूमि के लिए डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (डीआईएलआरएमपी) तथा शहरी भूमि सर्वेक्षण के लिए नक्शा कार्यक्रम के तहत प्रगति की समीक्षा की। इस दौरान बताया गया कि डीआईएलआरएमपी के तहत अधिकारों के अभिलेख 99 प्रतिशत तक कम्प्यूटरीकृत किए जा चुके हैं। भूकर मानचित्रों को लगभग 97 प्रतिशत तक डिजिटाइज किया जा चुका है। उप रजिस्ट्रार कार्यालयों को 95 प्रतिशत तक कम्प्यूटराइज किया जा चुका है। केंद्रीय मंत्री ने इस प्रगति की सराहना करते हुए आगे बेहतर प्रयास करने व अधिकाधिक लोगों तक कार्यक्रम की जानकारी पहुंचाने के उद्देश्य से जन अभियान शुरू करने को कहा।
नक्शा कार्यक्रम को देश के 29 राज्यों एवं संघ राज्य क्षेत्रों में 152 शहरी स्थानीय निकायों में चलाया जा रहा है, जिनमें से 61 में एरियल फ्लाइंग का काम पूरा हो चुका है।
शिवराज सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के वाटरशेड विकास घटक (डब्ल्यूडीसी-पीएमकेएसवाई) के तहत जलग्रहण विकास परियोजनाओं को जनांदोलन की तरह क्रियान्वित किया जाना चाहिए। आम जनता, जनप्रतिनिधियों, गैर सरकारी संगठनों, कॉरपोरेट्स सहित सभी हितधारकों की भागीदारी को प्रोत्साहित किया जाएं।
स्प्रिंगशेड विकास पर भी चर्चा हुई, जिसे लेकर केंद्रीय मंत्री चौहान ने कहा कि पहाड़ी क्षेत्रों में स्प्रिंगशेड विकास किया जाना चाहिए, ताकि आबादी को कम पानी उपलब्धता वाले महीनों में पानी उपलब्ध कराया जा सके। स्थानीय आबादी को पीने का पानी उपलब्ध कराने के अलावा, यह प्रमुख नदी प्रणालियों के जल प्रवाह को भी बढ़ाएगा, जो अंततः मैदानी क्षेत्रों में रहने वाली बड़ी आबादी की मदद करेगा। अन्य प्रोजेक्ट्स की समीक्षा करते हुए उन्होंने कहा- डब्ल्यूडीसी-पीएमकेएसवाई अंतर्गत वाटरशेड विकास परियोजनाओं की प्रभावशीलता बढ़ाने हेतु मनरेगा, आरकेवीवाई, पीडीएमसी, एमआईडीएच जैसी योजनाओं के साथ अधिकतम अभिसरण सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
केंद्रीय मंत्री चौहान ने निर्देश दिए कि शेष शहरी स्थानीय निकायों में भी एरियल फ्लाइंग कार्य निर्धारित समय-सीमा अर्थात जून 2025 तक पूरा कर लिया जाएं। समीक्षा बैठक में राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों से अपेक्षा की गई कि ग्राउंड ट्रूथिंग के लिए रोवर्स व्यवस्था और शहरी टीमों का गठन समयबद्ध तरीके से पूरा कर लिया जाए।
बैठक में मिशन अमृत सरोवर की समीक्षा की गई, जिसमें इसकी ठोस उपलब्धियों एवं गहन प्रभावों को रेखांकित किया गया। मिशन अमृत सरोवर अंतर्गत देश में 50 हजार सरोवरों बनाने का लक्ष्य तय किया गया था। इसे पार करते हुए देशभर में 68 हजार से अधिक अमृत सरोवरों का निर्माण पूर्ण हो चुका है। यह समग्र सरकारी दृष्टिकोण व जनभागीदारी आधारित राष्ट्रव्यापी अभियान है, जिसका उद्देश्य केवल जलाशयों का निर्माण या पुनरुद्धार नहीं, अपितु जल संरक्षण एवं सतत विकास सुनिश्चित करना है। अभियान अंतर्गत लगभग 80 हजार पंचायत प्रतिनिधि एवं 65 हजार से अधिक उपयोगकर्ता समूह सक्रिय रूप से जुड़ चुके हैं।
———–